18 वीं लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी ने भले ही एनडीए के अन्य घटक दलों के सहयोग से केंद्र में सरकार बना ली हो और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री भी बन गए हों ,लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में इसका खुद का प्रदर्शन बहुत ही निराशाजनक रहा। बीजेपी खुद लोक सभा में बहुमत की सरकार बनाने के लिए आवश्यक जादुई आंकड़े 272 से 32 सीट कम 240 पर ही सिमट गई। सत्ता संभालने के बाद अब बीजेपी अपने लोकसभा चुनाव नतीजे की समीक्षा कर रही है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में अब तक इसे लेकर बैठकें हो चुकी है। इन बैठकों में कुछ दिलचस्प सवाल भी उठे हैं कि आखिर बीजेपी को चुनाव में ऐसा नतीजा क्यों देखना पड़ा। इन बैठकों में राज्य के नेताओं के अलावा केंद्रीय स्तर से भी नेताओं को पर्यवेक्षक के तौर पर भेजा जा रहा है ।यूपी में तो पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद ही बैठकों में मौजूद रहे ।पार्टी सूत्रों का मानना है की समीक्षा बैठकों में पार्टी की इस स्तरहीन चुनावी प्रदर्शन को लेकर 7 बातें प्रमुखता से सामने आई।
इन बैठकों में एक बात सभी ने कही कि विपक्ष की ओर से संविधान बदलने और उसके आधार पर आरक्षण खत्म करने की जो अफवाह फैलाई गई उसका असर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में देखने को मिला, जहां ओबीसी और दलित वर्ग की अच्छी खासी आबादी है ।पहले उत्तर प्रदेश की मीटिंग में यह बात कही गई।इसके बाद महाराष्ट्र में भी ऐसी ही चर्चा हुई।वहां तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी कहा कि इन अफवाहों के चलते चुनाव के नतीजे खराब आए हैं। उन्होंने माना कि एनडीए विपक्ष की ओर से फैलाई गई इन अफवाहों को काट नहीं सका।
राजस्थान में शिवराज सिंह चौहान और विनय सहस्त्रबुद्धे की मौजूदगी में हुई बीजेपी की समीक्षा बैठक में यह बात उभरकर सामने आई की इस बार के लोकसभा चुनाव में विदेशी हाथ प्रभावी था। विदेशी ताकतें चाहती हैं कि भारत से बीजेपी और मोदी के शासन को खत्म कर दिया जाए।गौरतलब है कि रविवार को उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी ऐसा ही संकेत दिया था।
चुनाव नतीजे आने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को परजीवी कहा था।उनका कहना था कि कांग्रेस के पास खुद की कोई ताकत नहीं है, लेकिन साथी दलों की मदद से वह बढ़ी है।यह बात पार्टी के नेता अब हर राज्य में दुहरा रहे हैं। सभी समीक्षा बैठकों में एक सुर से कहा गया कि कांग्रेस के 99 तक पहुंचाने की वजह गठबंधन है।उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में उसे गठबंधन का फायदा मिला है और सरकार के खिलाफ जाने वाला वोट जब एकजुट हुआ तो बीजेपी को नुकसान हुआ और कांग्रेस इसका फायदा ले गई।
विपक्ष द्वारा अक्सर उठाए जाने वाले सवाल कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार कितने दिन तक चलेगी को लेकर बीजेपी के शीर्ष नेताओं का कहना है कि सहयोगी दल मजबूती से एक साथ खड़े हैं और एनडीए अपना अपना कार्यकाल पूरा करेगी।इस दृष्टिकोण से टीडीपी और जेडीयू की मांगों पर बजट में भी जोर दिया जा सकता है।
लोकसभा चुनाव के दौरान ब्रांड मोदी ,को लेकर भी समीक्षा बैठक में चर्चा की गई। बीजेपी की सभी नेताओं ने एकजुट के साथ पीएम नरेंद्र मोदी का जलवा कायम रहने की बात कही। इन नेताओं का कहना था की पार्टी ने अति आत्मविश्वाश और आपसी कलह की वजह से नुकसान उठाया है ।लेकिन नरेंद्र मोदी का जलवा जनता के बीच पहले की तरह कायम है महाराष्ट्र में तो देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफा तक देने की बात कर दी थी और खराब नतीजे की जिम्मेदारी भी ली थी।हालांकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मोदी मैजिक को लेकर कुछ सवाल जरूर उठाए थे।
अति आत्मविश्वास को हार की वजह बताते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम लोग अति आत्मविश्वास में आ गए थे। इसका नतीजा है कि चुनाव पूर्व जो विपक्ष कहीं कोने में बैठा रहता था, वह चुनाव परिणाम आने के बाद उछल रहा है।
समीक्षा बैठकों में बीजेपी की अंतर्कलह की बातें भी खूब सामने आ रही है। इसके अलावा पिछले दिनों जब उत्तर प्रदेश में संगठन महामंत्री बीएल संतोष आए थे,तब उस दौरान भी कई नेताओं ने कहा था कि हमने आपसी कलह के चलते तमाम सीटें गवां दी मुजफ्फरनगर जैसी हाई प्रोफाइल सीट की तो इसे लेकर खूब चर्चा हो रही है।कहा जा रहा है कि यहां संगीत सोम और संजीव बालियान के बीच की आपसी कलह के चलते नतीजा बीजेपी के खिलाफ चला गया।