बीरेंद्र कुमार झा
संसद में सुरक्षा चूक मामले को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही है।घटना को लेकर पुलिस की ओर से भी कुछ जानकारियां दी गई है। मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने बताया कि जिन लोगों ने संसद की सुरक्षा का उलंघन किया और लोकसभा के अंदर पीले धुएं का छिड़काव किया, उनका मकसद मीडिया का ध्यान आकर्षित करना था। साथ ही वे मीडिया में हाईलाइट होने के बाद एक राजनीतिक पार्टी बनाना चाहते थे।उन्होंने विदेशी फंडिंग की भी चाहत थी। उन्हें लगा कि यह उनके विचार रखने का एकमात्र तरीका हो सकता है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जांचकर्ताओं ने बताया कि पूछताछ के दौरान आरोपी सागर शर्मा ने जो खुलासा किया है उसके अनुसार पहले के प्लान के मुताबिक वे संसद के बाहर खुद को आग लगाना चाहते थे, लेकिन बाद में इस योजना को ड्रॉप कर दिया गया।गौरतलब है की सागर शर्मा वहीं युवक है जो बुधवार को दर्शक दीर्घा से लोकसभा में घुस कर आसान की तरफ बढ़ गया था और इसके बाद उसने वहां पीला रंग का धुआं फैलाकर सनसनी फैला दी थी।
राजनीतिक दल बनाने की तैयारी
एक जांचकर्ता ने सागर शर्मा के साथ हुए पूछताछ का हवाला देते हुए कहा कि ये लोग एक राजनीतिक पार्टी बनाना चाहते थे ।इसे बनाने से पूर्व ये लोग ऐसा कुछ करना चाहते थे,जिससे मीडिया में इन्हें भरपूर कवरेज मिल सके।दरअसल इसके पीछे इन लोगों की यह सोच थी की मीडिया कवरेज के भरोसे ये वर्ल्ड वाइड अटेंशन प्राप्त कर सकेंगे और फिर इनके लिए विदेशी फंडिंग पाना आसान हो जाएगा । दरअसल ललित झा एनजीओ के लिए भी काम कर चुका है ऐसे में वह विदेशी फंडिंग के बारे में वाकिफ होगा।
पहले संसद भवन के बाहर शरीर में आग लगाकर मीडिया कवरेज पाने की थी योजना
जांचकर्ता के अनुसार आरोपी सागर ने पूछताछ में जिन बातों का खुलासा किया उनमें एक खुलाधा यह भी था कि इन लोगों ने कुछ ऐसा करने का प्लान बनाया जिससे उन्हें मीडिया का भरपूर कवरेज मिल जाए। इसके लिए इन लोगों ने पहले संसद भवन परिसर में खुद को आग लगाने का प्लान तैयार किया। यहां तक कि इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए जेल (अर्द्ध तरल)जैसी चीज भी इन्होंने खरीदने की योजना बनाई।पेट्रोल या किरसान तेल की जगह इन लोगों ने इस जेल का चुनाव इसलिए किया ताकि जलाने की इस नाटक में इनका शरीर जले नहीं और इन्हें बिना कोई शारीरिक नुकसान हुए आग इनके शरीर पर धधकते रहे ।जांच अधिकारियों ने कहा कि ऐसे किसी जेल को ऑनलाइन खरीदने की इन लोगों ने कोशिश भी की।र पैसे भी इकट्ठा किए गए,लेकिन पैसों का भुगतान नहीं किया जा सका। फिर बाद में उन्होंने यह सोचकर अपने इस विचार को छोड़ दिया कि इसे मीडिया का उतना बड़ा कवरेज नहीं मिल पाएगा। इसके बाद इन लोगों ने संसद भवन के अंदर और बाहर स्मोक क्रैकर से धुंआ – धुआं करने वाली योजना तैयार की।