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चीन वाले मसले पर राहुल गांधी के वार का मोदी सरकार क्या जवाब देगी ?

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अखिलेश अखिल 
कांग्रेस का महाधिवेशन तो रविवार को ख़त्म हो गया लेकिन अधिवेशन की समाप्ति के साथ ही राहुल की आवाज राजनीतिक गलियारों में गूंजने लगी है। यह ऐसी गूंज है जिसकी धमक देश की जनता तक पहुँच रही है और कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। राहुल गाँधी ने अधिवेशन के अंतिम दिन अपने भाषण में वैसे तो कई बातों की चर्चा की ,कई भावुक बातो को भी  साझा किया लेकिन विदेश मंत्री जयशंकर की बातो को उठाकर उन्होंने भारतीय राजनीति में एक सनसनी तो पैदा कर ही दिया। उन्होंने विदेश मंत्री पर हमला करते हुए कहा कि चीन पर विदेश मंत्री का हालिया बयान राष्ट्रवाद नहीं बल्कि कायरता दिखाता है और यह वी डी सावरकर की “मजबूत के सामने झुकना” विचारधारा के अनुरूप है।
राहुल यही नहीं रुके। कांग्रेस के 85वें पूर्ण अधिवेशन को संबोधित करते हुए गांधी ने यह भी दावा किया कि उनकी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता ‘सत्याग्रही’ हैं, जबकि भाजपा और आरएसएस के लोग ‘सत्ता ग्रही’ हैं। सत्ताग्रही का मतलब सत्ता चाहने वालो से की जाती है।

राहुल गांधी ने जयशंकर का नाम लिए बगैर कहा, मैं आपको सरकार की सोच के बारे में कुछ बताना चाहता हूं। कुछ दिनों पहले एक इंटरव्यू में एक मंत्री ने कहा था कि चीन की अर्थव्यवस्था भारत से बड़ी है तो हम उनसे कैसे लड़ सकते हैं। जब अंग्रेजों ने हम पर शासन किया था तो उनकी अर्थव्यवस्था हमारी तुलना में छोटी थी,।” कांग्रेस के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा,”यह कायरता है। यह सावरकर की विचारधारा है कि यदि कोई आपसे मजबूत है, तो उसके सामने झुकें। भारत के मंत्री कह रहे हैं कि आपकी अर्थव्यवस्था हमसे बड़ी है, इसलिए हम आपके सामने खड़े नहीं हो सकते। क्या यह राष्ट्रवाद है? क्या यह देशभक्ति है? ”

राहुल ने पूछा कि “यह कैसी देशभक्ति है कि आप अपने से कमजोर को हरा देते हैं और मजबूत के सामने झुक जाते हैं।” उन्होंने कहा, “इसके लिए एक शब्द है। महात्मा गांधी सत्याग्रह की बात करते थे। सत्याग्रह का मतलब है कि सच्चाई का रास्ता मत छोड़ो। आरएसएस और बीजेपी के लोगों के लिए एक नया शब्द है। हम सत्याग्रही हैं, वे ‘सत्ताग्राही हैं।” वे सत्ता के लिए कुछ भी करेंगे, वे किसी के साथ गठबंधन करेंगे, सत्ता के लिए किसी के सामने झुकेंगे। यह उनकी सच्चाई है।”

बता कि पिछले दिनों एक न्यूज़ एजेंसी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर का इंटरव्यू लिया था जिसमे विदेश  मंत्री ने कई मसलो पर चर्चा की थी। उसी के दौरान जब चीन के मसले पर बात की गई तो विदेश मंत्री ने कहा था कि “वे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, मैं क्या करने जा रहा हूं? मैं एक छोटी अर्थव्यवस्था हूं। क्या मैं एक बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ लड़ाई करने जा रहा हूं? यह प्रतिक्रिया का सवाल नहीं है। यह सामान्य ज्ञान का सवाल है।” जयशंकर ने कथित तौर पर कहा था, हमारी सीमाओं या स्थिति को स्थिर करना हमारे हित में है, यह प्यार, स्नेह या भावना से बाहर नहीं है।

अब जब कांग्रेस  महाधिवेशन भी ख़त्म हो गया है। और फिर से पार्टी को आगे बढ़ाने के साथ ही  चुनावी राजनीति के लिए पार्टी को मजबूत करने और जनता से मिलने की बारी है ऐसे में मोदी सरकार को अब जवाब देना भारी पड़ सकता है कि आखिर  ने इस तरह के जवाब क्यों और कैसे दिए थे ? अडानी मसले  अभी सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आये हैं। जबकि सच ये हैं कि अडानी कांड से देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित होती दिख रही है और एलआईसी से लेकर एसबीआई की पूंजी में बड़ी कमी आयी है। ऐसे में सवाल तो अब खड़ा होगा ही। राहुल ने सवाल खड़ा करके गेंद मोदी सरकार के पाले में कर दिया है।

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