आज के डिजिटल युग में हमारा ज़्यादातर निजी और पेशेवर डेटा ऑनलाइन स्टोर रहता है।बैंकिंग से लेकर सोशल मीडिया, ईमेल से लेकर शॉपिंग अकाउंट तक, हर चीज़ को एक्सेस करने के लिए हम पासवर्ड का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन जब यही पासवर्ड लीक हो जाते हैं, तो बड़ा खतरा पैदा हो जाता है।हैकर्स कई चालाक तरीकों से इन पासवर्ड्स को चुरा लेते हैं और फिर उनका दुरुपयोग कर सकते हैं। आइए समझते हैं कि पासवर्ड लीक कैसे होते हैं और हैकर्स आपको कैसे अपना शिकार बनाते हैं।
पासवर्ड चोरी करने के लिए फिशिंग सबसे आम तरीका है, जिसमें हैकर्स नकली ईमेल, वेबसाइट या मैसेज के ज़रिए यूज़र से उसकी लॉगिन डिटेल्स चुराते हैं।उदाहरण के लिए, आपको एक ऐसा ईमेल आ सकता है जो देखने में बिल्कुल आपके बैंक या सोशल मीडिया साइट की तरह हो और उसमें पासवर्ड रीसेट या वेरिफिकेशन का झांसा दिया जाता है। जैसे ही आप उस लिंक पर क्लिक कर पासवर्ड डालते हैं, वह हैकर्स के पास पहुंच जाता है।
डेटा ब्रीच हैकर्स का एक बड़ा हथियार है। कई बार हैकर्स बड़ी बड़ी कंपनियों के सर्वर पर हमला कर लाखों यूज़र्स की जानकारी चोरी कर लेते हैं। इसमें ईमेल, यूज़रनेम और पासवर्ड जैसी संवेदनशील जानकारियां होती हैं।अगर आपने भी किसी ऐसी वेबसाइट पर अकाउंट बनाया है जो ब्रीच का शिकार हुई हो, तो आपका पासवर्ड भी लीक हो सकता है।
कीलॉगर नामक एक प्रकार का मैलवेयर होता है, जो आपके कीबोर्ड पर टाइप की गई हर जानकारी को रिकॉर्ड करता है।जब भी आप किसी वेबसाइट पर पासवर्ड डालते हैं, कीलॉगर उसे चोरी कर लेता है और हैकर तक पहुंचा देता है। ये आमतौर पर स्पैम लिंक, संक्रमित वेबसाइट या थर्ड-पार्टी सॉफ्टवेयर के जरिए आपके डिवाइस में आ जाते हैं।
ब्रूट फोर्स अटैक कर भी हैकर्स पासवर्ड का तोड़ निकालता है।
इस तरीके में हैकर पासवर्ड का अनुमान लगाने के लिए हर संभावित कॉम्बिनेशन को आज़माता है। आसान और सामान्य पासवर्ड (जैसे 123456 या password123) ब्रूट फोर्स अटैक में बहुत जल्दी टूट जाते हैं।इसलिए मजबूत पासवर्ड रखना बेहद ज़रूरी है।
जब आप पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि कैफे, मॉल या एयरपोर्ट पर, तो आपकी डिवाइस से ट्रांसफर होने वाला डेटा हैकर के लिए पकड़ना आसान हो जाता है।अगर आपने ऐसे नेटवर्क पर पासवर्ड डाला, तो वह आसानी से चोरी हो सकता है।
इन हैकर से खुद को सुरक्षित रखने के लिए निम्न तरीके अपनाए जाना चाहिए:-
मजबूत और यूनिक पासवर्ड का इस्तेमाल करें।
टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) को ऑन रखें।
किसी भी संदिग्ध ईमेल या लिंक पर क्लिक करने से बचें।
पब्लिक वाई-फाई पर लॉगिन न करें।
अपने डिवाइस में एंटीवायरस और सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर ज़रूर रखें।