बीरेंद्र कुमार झा
झारखंड की राजधानी रांची में होम्योपैथिक पद्धति से तैयार इंसुलिन नाम की खुलेआम बिक रही दवा इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है। इंसुलिन नाम होने से शुगर के मरीज भ्रम में फंस रहे हैं, क्योंकि उनको यह लग रहा है कि यह दवाई इंसुलिन का विकल्प है। कई मरीज इसे एलोपैथी इंसुलिन का विकल्प मानकर इसका उपयोग भी कर रहे हैं। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इंसुलिन को पेट के माध्यम से नहीं दिया जा सकता है,क्योंकि इंसुलिन टैबलेट के रूप में पेट में पहुंचते ही खराब हो जाता है।यही वजह है कि इंसुलिन को इंजेक्शन के रूप में नस के द्वारा शरीर में पहुंचाया जाता है।
विशेषज्ञों द्वारा नहीं दी जा रही मान्यता
एलोपैथी के चिकित्सक इसे एलोपैथी की दवा नहीं होने को लेकर इस पर कुछ टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं, लेकिन उनका यह कहना है की इंसुलिन का विकल्प इंसुलिन टैबलेट नहीं हो सकता है, वहीं दूसरी तरफ होम्योपैथी की विशेषज्ञ डॉक्टर के अनुसार होम्योपैथी पद्धति की पुस्तकों में भी इंसुलिन की ऐसी किसी दवा का उल्लेख नहीं है,जो रोगी को खाने के माध्यम से दिया जाए।
दर्द रहित और सस्ती दवा होने से भ्रमित हो रहे हैं मरीज
इंसुलिन नाम से बाजार में बिक रही होम्योपैथिक की यह दवा 51 रुपए में उपलब्ध है। वही एलोपैथी में इंसुलिन की दवा जो इंजेक्शन के रूप में मिलती है अपेक्षाकृत काफी महंगी होती है।इंसुलिन लेने पर एक सप्ताह की दवा का खर्च 160 से 180 रुपए के लगभग आता है। इसके अलावा प्रतिदिन सुई लेने का दर्द भी झेलना पड़ता है।जो लोग अपने से इन्सुलिन की सुई नहीं ले पाते हैं उन्हें इसके लिए भी अलग से पैसे खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में इंसुलिन नाम से बाजार में मिल रही इस सस्ती टैबलेट को ही कई लोग उपयोग में लाने लगे हैं।
जांच के उपरांत होगी कार्रवाई
रांची के औषधि निरीक्षक रामकुमार झा ने बताया इंसुलिन नाम की वजह से यह दवा लोगों को भ्रमित कर रही है। यह दवा होम्योपैथी की दवा की सूची में सूचीबद्ध भी नहीं है,ऐसे में बाजार में मिल रही इस दवा को संग्रहित कर जांच की जाएगी और जांच रिपोर्ट आने के बाद इस पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।