हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि सेबी की अध्यक्ष बुच और उनके पति के पास अडाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी।हिंडनबर्ग ने अडाणी पर अपनी पिछली रिपोर्ट के 18 महीने बाद एक ब्लॉगपोस्ट में आरोप लगाया।इससे पहले हिंडनबर्ग ने शनिवार को सोशल मीडिया में पोस्ट किया था, जिसमें अडाणी कंपनी से जुड़े बड़े खुलासे का संकेत दिया था।पोस्ट में लिखा था, भारत में जल्द बड़ा होने वाला है।
शॉर्ट-सेलर ने व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि सेबी की वर्तमान प्रमुख माधवी बुच और उनके पति के पास अडाणी घोटाले में इस्तेमाल किए गए ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी।समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंडों को नियंत्रित करते थे।हिंडनबर्ग का आरोप है कि इन फंडों का इस्तेमाल धन की हेराफेरी करने और समूह के शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए किया गया था। हिंडनबर्ग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा, आईआईएफएल में एक प्रधान के हस्ताक्षर वाले फंड की घोषणा में कहा गया है कि निवेश का स्रोत ‘वेतन’ है और दंपति की कुलसंपत्ति एक करोड़ अमेरिकी डॉलर आंकी गई है। रिपोर्ट में आगे आरोप लगाया गया है, कि दस्तावेजों से पता चलता है कि हजारों मुख्यधारा के प्रतिष्ठित भारतीय म्यूचुअल फंड उत्पादों के होने के बावजूद, एक उद्योग जिसका अब वह विनियमन करने के लिए जिम्मेदार है, सेबी की चेयरपर्सन माधवी बुच और उनके पति के पास अल्प परिसंपत्तियों के साथ एक बहुस्तरीय ऑफशोर फंड संरचना में हिस्सेदारी थी।
ऐसे फंड जो विदेशी बाजारों में निवेश करते हैं, उन्हें ऑफशोर फंड कहा जाता है। इन्हें विदेशी या अंतरराष्ट्रीय फंड भी कहते हैं।हिंडनबर्ग ने कहा कि इनकी परिसंपत्तियां ज्ञात उच्च जोखिम वाले अधिकार क्षेत्र से होकर गुजरती थीं, जिसकी देखरेख घोटाले से कथित तौर पर जुड़ी एक कंपनी करती थी। यह वही इकाई है, जिसे अडाणी के निदेशक चलाते थे और जिसका विनोद अडाणी द्वारा कथित अडाणी नकदी हेरफेर घोटाले में महत्वपूर्ण रूप से उपयोग किया गया था।
कांग्रेस ने अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी बुच पर लगाए गए आरोपों के बाद मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। कांग्रेस ने एक कहावत का इस्तेमाल करते हुए कहा कि चौकीदार की चौकीदारी कौन करेगा।कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोपों संबंधी हिंडनबर्ग की पोस्ट को टैग करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, क्विस कस्टोडिएट इप्सोस कस्टोडेस’ (चौकीदार की चौकीदारी कौन करेगा? रमेश ने एक अन्य पोस्ट में कहा कि संसद को 12 अगस्त की शाम तक कार्यवाही के लिए अधिसूचित किया गया था। अचानक नौ अगस्त की दोपहर को ही इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।अब हमें पता है कि ऐसा क्यों किया गया
रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला भी दिया, जिसमें यह कहा गया था कि सेबी इस बात की जांच में खाली हाथ रहा कि अडाणी के कथित ऑफशोर शेयरधारकों को किसने वित्तपोषित किया।हिंडनबर्ग ने कहा, अगर सेबी वास्तव में ऑफशोर फंड धारकों को ढूंढना चाहता था, तो शायद सेबी चेयरपर्सन आईने में देखकर शुरुआत कर सकती थीं।हिंडनबर्ग ने कहा कि मौजूदा सेबी चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच ने उसी अस्पष्ट अपतटीय बरमूडा और मॉरीशस फंड में अपनी हिस्सेदारी छिपाई, जो विनोद अडाणी द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एक ही जटिल ढांचे में पाए गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक एक ‘व्हिसलब्लोअर’ से प्राप्त दस्तावेजों से पता चलता है कि 22 मार्च, 2017 को माधवी बुच को सेबी चेयरपर्सन नियुक्त किए जाने से कुछ ही हफ्ते पहले धवल बुच ने मॉरीशस फंड प्रशासक ट्राइडेंट ट्रस्ट को ईमेल लिखा था।
इससे पहले जनवरी में हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया था कि अडाणी समूह ‘खुल्लम-खुल्ला शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है। हालांकि, समूह ने इस आरोप को पूरी तरह से बेबुनियाद बताया था। उसने कहा कि यह कुछ और नहीं बल्कि उसकी शेयर बिक्री को नुकसान पहुंचाने के गलत इरादे से किया गया है।उस समय अडाणी समूह की प्रमुख कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज 20,000 करोड़ रुपये का एफपीओ लाने की तैयारी कर रही थी।