न्यूज़ डेस्क
अब साफ़ हो कि बीजेपी के खेल के सामने कांग्रेस नतमस्तक है। राज्यसभा चुनाव के बहाने बीजेपी ने हिमाचल में जो खेला किया और उस खेल की भनक कांग्रेस को नहीं लगी ,इससे साफ़ है कि आगे कांग्रेस की राजनीति को कोई बड़ी सफलता भले ही मिल जाए लेकिन उसे स्थिर कांग्रेस कैसे रख पाएगी खड़ा हो गया है।
हिमाचल प्रदेश में मंगलवार को हुए राज्यसभा के एक मात्र सीट के चुनाव में मिली हार के बाद से ही सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे है। पहलेे वोटिंग के दौरान 6 विधायकों की तरफ से की गई क्रॉस वोटिंग से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और पार्टी प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी की हार और अब कैबिनेट मंत्री विक्रमदादित्य सिंह के मंत्री पद से इस्तीफे ने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। बता दें कि विक्रमदादित्य सिंह हिमाचल के 6 बार सीएम रहे वीरभद्र सिंह के बेटे हैं।
राज्यभा चुनाव में मिली हार के बाद बुधवार को सुक्खू सरकार में पीडब्लूडी मंत्री विक्रमदादित्य सिंह ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इस दौरान उन्होंने कहा विधायकों की शिकायत का समाधान नहीं हुआ। यह विधायकों की अनदेखी का नतीजा है। मेरी निष्ठा पार्टी के साथ है इसलिए खुलकर बोल रहा हूं। मैं अनुशासित हूं, इसलिए मैंने जितनी बात करनी थी उतनी ही की है। लेकिन प्रदेश में जो हमारे नौजवान साथी हैं जिन्होंने इस सरकार को बनाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। क्या हम उनकी उम्मीदों को पूरा कर पाए। हमने जो बातें की हैं हमारा कर्तव्य है कि उसे समय से पूरा करें।
सिर्फ यह कहना कि हमने किया है यह कहना महत्वपूर्ण नहीं है, लोगों को दिखना चाहिए कि सरकार उनके साथ खड़ी है। जिस तरह से घटनाक्रम हुआ है वह दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं इन सब चीजों को देखकर दुखी हूं। मैंने हमेशा लीडरशिप का सम्मान किया है और सरकार को चलाने में योगदान दिया है। कांग्रेस सरकार में एक साल मंत्री के रूप में जितना हमसे हो सका एक साल के कार्यकाल में हमने पूरी मजबूती से सरकार कासमर्थन किया है। लेकिन मुझे भी अपनानित करने की कोशिश की गई।
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से मिलने के बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमने आज राज्यपाल से मिलकर उन्हें राज्य में सियासी हालात के बारे में जानकारी दी है। कांग्रेस सरकार के पास बहुमत नहीं है तो नैतिक आधार पर वो इस्तीफा दें।
जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस के 6 विधायकों ने राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग किया है। बता दें कि हिमाचल प्रदेश के 68 सदस्यी विधानसभा में किसी भी पार्टी को बहुमत के लिए 35 विधायकों की जरुरत है। 2022 विधानसभा चुनाव में भाजपा को राज्य की 25 सीटों पर जीत मिली थी और कांग्रेस ने 40 सीट अपने नाम किया था। वहीं, 3 सीटें अन्य के खाते में थी। ऐसे में अगर कांग्रेस के 6 विधायक सरकार के खिलाफ खड़े रहते है तो कांग्रेस के हाथ से उत्तर भारत का एक मात्र राज्य भी निकल जाएगा।