अखिलेश अखिल
हाथरस कांड में अब तक 122 लोगों की मौत हो गई है। इस मौत के बाद कोई बाबा के कुछ नहीं बोल रहा है। हर आदमी अपने परिजनों को धुंध रहा है यह फिर लाशों को घर ले जाने का इंतजाम कर रहे हैं। बाबा तो फरार हो गए हैं। जैसे हादसा हुआ बाबा अपने दाल के साथ वहां से निकल गए। पुलिस ने वहां से निकाल दिया। सारे पुलिस वाले उन्ही के ही तो थे। जब पुलिस वाले ही बाबा के दरबार में झाड़ू लगाता हो तो समझ जाइये कि बाबा की औकात कितनी है !
बाबा का पूरा नाम है नारायण साकार हरि यानी भोले बाबा। लेकिन इनका असली नाम सूरजपाल सिंह है। कहते हैं कि इस बाबा की राजनीतिक पैठ बड़ी है। बसपा में तो इनकी खूब चलती थी। आज भी इस बाबा की खूब चलती है। सरकार चाहे जिसकी भी हो बाबा के शान में कोई कमी नहीं आती।
बसपा सरकार में भोले बाबा लाल बत्ती की गाड़ी में सत्संग स्थल तक पहुंचते थे। उनकी कार के आगे आगे पुलिस एस्कॉर्ट करते हुए चलती थी। बसपा सरकार में तत्कालीन जनप्रतिनिधि उनके सत्संग में शामिल होने पहुंचते रहे। सत्संग स्थल पर पुलिस की जगह उनके स्वयंसेवक ही कमान संभालते हैं।
सत्संग में सेवा के लिए पुलिसकर्मी भी छुट्टी लेकर पहुंचते हैं। सत्संग में पूरी व्यवस्थाएं स्वयंसेवकों के हाथ में ही होती हैं। इनमें कई पुलिसकर्मी हैं, जो बाबा की सुरक्षा में तैनात रहने के साथ सत्संग स्थल पर व्यवसथाएं संभालते हैं।
स्वयंसेवक गुलाबी रंग की यूनिफॉर्म में सत्संग स्थल से लेकर शहर की सड़कों पर तैनात रहते हैं। आगरा में कोठी मीना बाजार मैदान, सेवला के पास शक्ति नगर मैदान, आवास विकास कॉलोनी, दयालबाग, बाह और शास्त्रीपुरम के पास सुनारी में नारायण साकार हरि का सत्संग हो चुका है।
सूरजपाल सिंह उर्फ साकार हरि बाबा उर्फ भोले बाबा कासगंज जिले के पटयाली का रहने वाला है। 17 साल पहले पुलिस कांस्टेबल की नौकरी छोड़ सूरजपाल सत्संग करने लगा। वह आम साधु-संतों की तरह गेरुआ वस्त्र नहीं पहनता। अधिकतर वह महंगे चश्मे, सफेद पैंट-शर्ट पहनता है।
गरीब और वंचित तबके के लोगों के बीच इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में उसके लाखों अनुयायी हैं। बाबा ने अपने पैतृक गांव बहादुरनगर में बड़ा आश्रम बना रखा है, जहां हर महीने के पहले मंगलवार को सत्संग होता है।
बाबा आश्रम में हो या न हो, भक्तों का हुजूम लगा रहता है। पुलिस पृष्ठभूमि के चलते बाबा पुलिस के तौर-तरीकों को जानता है। इसी से उसने वर्दीधारी स्वयंसेकों की लंबी-चौड़ी फौज खड़ी कर दी।
भोले बाबा 16 कमांडो के कड़े पहरे के बीच कार्यक्रम स्थल पर पौने 12 बजे पहुंचा था। वह सीधे मंच पर गया और अपना उद्बोधन शुरू कर दिया। पौने दो बजे तक प्रवचन किए। दो बजे आरती खत्म होने के साथ ही कार्यक्रम के समापन की घोषणा कर दी गई। इसके बाद भीड़ यहां से जाने लगी। पांच मिनट बाद ही भगदड़ मच गई थी।
भोले बाबा को करीब से जानने वाले लोगों का कहना है कि वह कमांडो के पहरे में रहते हैं। मंगलवार को भी वह जब कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे तो उनके साथ 16 निजी कमांडो थे। यह सभी काले कपड़ों में थे। इनका पहरा इतना सख्त होता है कि कोई बाबा के करीब तक पहुंच भी नहीं पाता है। अगर कोई बाबा तक पहुंचने की कोशिश भी करता है तो यह लोग उसे रोक देते हैं।