Homeदेशहरियाणा चुनाव:राजनीति के बदले समीकरण,जेजेपी और चंद्रशेखर आजाद की पार्टी मिलकर लड़ेंगे चुनाव 

हरियाणा चुनाव:राजनीति के बदले समीकरण,जेजेपी और चंद्रशेखर आजाद की पार्टी मिलकर लड़ेंगे चुनाव 

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न्यूज़ डेस्क 
हरियाणा विधान सभा चुनाव के ऐलान के बाद सूबे की राजनीति में घठबंधन का दौर एक बार शुरू हो गया है। एक तरफ कांग्रेस की हुंकार है तो दूसरी तरफ सत्तारूढ़ बीजेपी फिर से सत्ता में लौटने की कोशिश कर रही है। लेकिन अब बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेजेपी ने अब एक नया सहयोगी ढूंढ कर कांग्रेस और बीजेपी को पस्त करने की तैयारी कर रही है।  

हरियाणा चुनाव को लेकर दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी और सांसद चंद्रशेखर आजाद रावण की आजाद समाज पार्टी(कांशीराम) ने मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।  आज मंगलवार को दोनों दलों ने गठबंधन की घोषणा करते हुए कहा कि हरियाणा चुनाव में जेजेपी 70 सीटों पर और आजाद समाज पार्टी 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

हरियाणा चुनाव में आम आदमी पार्टी भी भाग्य आजमा रही है। पहले जेजेपी और आप के बीच गठबंधन को लेकर चर्चा हो रही थी, लेकिन सहमति नहीं बन पाने के कारण गठबंधन नहीं हो पाया। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था। समझौते के तहत कांग्रेस 9 और आप एक लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ी थी। लेकिन चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस और आप का गठबंधन टूट गया. अब कांग्रेस और भाजपा अकेले चुनाव लड़ रही है। 

बता दें कि हरियाणा में लगभग 25 फीसदी जाट और 21 फीसदी दलित मतदाता है। जेजेपी का आधार जाट वोटर है, जबकि आजाद समाज पार्टी दलितों की राजनीति करती है। दोनों पार्टियों को लगता है कि इस गठबंधन से जाट और दलित वोटों को एकजुट कर चुनाव में सफलता हासिल की जा सकती है। वहीं कांग्रेस पार्टी भी जाट और दलित वोटरों को अपने पाले में लाने की कोशिश में लगी हुई है। 

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जाट और दलितों के बड़े तबके का समर्थन मिला था। ऐसे में पार्टी को उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव में भी इसका फायदा होगा। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि जेजेपी और आजाद समाज पार्टी के बीच गठबंधन का फायदा किसे होता है। वहीं इंडियन नेशनल लोकदल और बसपा के बीच भी गठबंधन हुआ है। हरियाणा में कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल के बीच ही मुख्य मुकाबला होता रहा है। 

लेकिन भाजपा के उभार के बाद इंडियन नेशनल लोकदल हाशिये पर पहुंच गया और पार्टी में टूट के कारण उसका जनाधार सिमट गया है। अब मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच सिमट कर रह गया है। 

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