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पश्चिम बंगाल में एक बार फिर ममता सरकार और राजभवन आमने सामने आ गया है। इस बार नए विधायकों के शपथ ग्रहण को लेकर तनातनी जारी है। बता दें कि हाल ही में दो विधानसभा सीटों – मुर्शिदाबाद जिले में भगवानगोला सीट और उत्तर 24 परगना जिले में बारानगर सीट – पर हुए उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार विजयी रहे थे।
सूत्रों ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस के रैयत हुसैन सरकार और सयंतिका बनर्जी को निर्वाचित हुए 11 दिन बीत गये हैं, लेकिन उनका शपथ ग्रहण नबन्ना स्थित राज्य सचिवालय और राजभवन के बीच ‘तकनीकी गड़बड़ियों’ में अटक गया है।
आधिकारिक प्रोटोकॉल के अनुसार, नव निर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण के लिए राज्य के संसदीय कार्य विभाग से राजभवन में राज्यपाल कार्यालय को संदेश भेजा जाना है।
सूत्रों का कहना है कि सरकार और बनर्जी के मामले में राजभवन को संदेश तो मिल गया है, लेकिन यह संसदीय कार्य विभाग के मंत्री की बजाय पश्चिम बंगाल विधानसभा के सचिव की ओर से भेजा गया है।
सूत्रों ने बताया कि राजभवन ने अब तक उस संदेश का कोई जवाब नहीं दिया है जिससे दोनों विधायकों के शपथ ग्रहण को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
संयोग से, राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर राजभवन में तैनात पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से स्थानांतरित करने की मांग की। इससे पहले विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया था कि राजभवन के बाहर तैनात पुलिसकर्मियों ने गुरुवार शाम उन्हें और उनके साथ आये चुनाव बाद हिंसा के कुछ पीड़ितों को अंदर जाने से रोक दिया था।
राज्यपाल ने अपने बयान में कहा था कि वह पुलिस विभाग के प्रभारी मंत्री से तब तक नहीं मिलेंगे जब तक पीड़ितों को उनसे मिलने नहीं दिया जाता। दरअसल, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पास गृह मंत्रालय भी है और पुलिस विभाग उन्हीं के अंदर आता है।