बीरेंद्र कुमार झा
सनातन धर्म को लेकर जारी बहस के बीच मद्रास हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि सनातन धर्म शाश्वत कर्तव्यों का समूह है,जिसमे राष्ट्र, राजा, माता-पिता व गुरुओं के प्रति कर्तव्य और गरीबों की देखभाल शामिल है। एलंगोवन नामके व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एन शेषशायी ने ये बातें कहीं। इस याचिका में लोकल गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज की ओर से जारी सर्कुलर को चुनौती दी गई थी, जिसमें स्टूडेंट से सनातन का विरोध विषय पर अपनी राय बताने के लिए कहा गया था।
सनातन धर्म को लेकर हो रही शोर- शराबे वाली बहस चिंताजनक:हाईकोर्ट
जस्टिस एन शेषशायी ने सनातन धर्म को लेकर हो रही शोर- शराबे वाली बहस पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि इस विचार ने जोर पकड़ लिया है कि सनातन धर्म पूरी तरह से जातिवाद और छुआछूत को बढ़ावा देने वाला है। उन्होंने ऐसी धारणा को सिरे से खारिज कर दिया।न्यायमूर्ति एन शेषशायी ने कहा कि समान नागरिकों वाले देश में छुआछूत को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता,भले ही इसे सनातन धर्म के सिद्धांतों के भीतर कहीं ना कहीं अनुमति के तौर पर देखा जाता है। फिर भी समाज में इसकी कोई जगह नहीं हो सकती है।क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 17 में अस्पृश्यता को समाप्त कर दिया गया है।
भाषणों से न पहुंचे किसी को तकलीफ
मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस एन शेषशायी ने जोर देकर कहा कि फ्री स्पीच फंडामेंटल राइट (मौलिक अधिकार) है ,मगर यह नफरत फैलाने वाले भाषण देने की इजाजत नहीं देता है,खास कर जब यह धर्म से जुड़ा मामला हो। उन्होंने इसमें यह सिद्ध करने की जरूरत बताई कि इस तरह के भाषणों से किसी को तकलीफ ना पहुंचे।उन्होंने कहा कि हर धर्म आस्था पर आधारित है और आस्था में अतार्किकता शामिल होती ही है ।इसलिए जब धर्म से जुड़े भाषण दिया जाए,तो यह ध्यान रखा जाना चाहिए उससे किसी को तकलीफ ना हो।दूसरे शब्दों में कहा जाए तो फ्री स्पीच,हिट स्पीच नहीं हो सकती है।
उदयानिधि स्टालिन ने सनातन को लेकर क्या कहा
गौरतलब है कि कोर्ट की यह टिप्पणी तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म पर बयान को लेकर मचे हंगामा के बीच उदयनिधि ने सनातन धर्म की तुलना डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से की थी और कहा था कि इसका खात्मा हो जाना ही अच्छा है।बाद में उदयनिधि स्टालिन ने सनातन को लेकर ऐसा कुछ भी नहीं बोला है जो पेरियार ईवी रामास्वामी,बीआर अंबेडकर और अन्नादुरई ने नहीं कहा हो। डीएमके नेता ने कहा कि सनातन को लेकर उनके विचार केवल ऐसे दिग्गजों की सुधारवादी सामाजिक न्याय विचारधारा को दर्शाते हैं।