अखिलेश अखिल
राजस्थान में बीजेपी की जीत के बाद मुख्यमंत्री कौन होगा इसको लेकर हलचल जारी है। एक अनार ,सौ बीमार वाली कहावत वहां देखने को मिल रही है। करीब पांच नेता सीएम बनने की कतार में खड़े हैं। पांचों की चाहत तो यही है कि उन्हें सत्ता की कुर्सी मिल जाए लेकिन बातचीत कीजिये तो कोई कुछ भी कहने से परहेज कर देता है। एक तरफ वसुंधरा राजे अपनी गोटी सेट कर रही है। वह लगातार विधायकों से मुलाकात कर रहे हैं। अभी तक वसुंधरा ने 70 विधायकों से मुलाकात की है। सभी विधायकों ने वसुंधरा को अपना नेता माना है और वसुंधरा के नेत्तृत्व को सराहा है। लेकिन कोई खुलकर यह नहीं कह रहा है कि वसुंधरा को सीएम बनाना चाहिए।
उधर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला भी सीएम बनाना चाहते हैं। उनकी भी चाहत है कि इस बार सत्ता की चाभी उनके हाथ में मिले। बीते विधान सभा चुनाव में उन्होंने काफी मेहनत भी की थी। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, दीया कुमारी और बाबा बालकनाथ के नाम भी चर्चा में हैं।
वसुंधरा के समर्थक और आठ बार के विधायक कालीचरण सराफ ने दावा किया है कि उनसे 70 विधायकों ने मुलाकात की है। राजे जहां गईं, वहां भाजपा जीती है। वसुंधरा राजस्थान में भाजपा की सर्वमान्य नेता हैं। वसुंधरा से मुलाकात के बाद विधायक बहादुर कोली, गोपीचंद मीणा और समाराम गरासिया ने कहा कि हमारी राय पूछी गई तो वसुंधरा पहली पसंद होंगी। सराफ ने कहा- वसुंधरा हमारी सर्वमान्य नेता हैं। पार्टी तय करेगी कि राजस्थान में मुख्यमंत्री कौन होगा। पार्टी में व्यक्तिगत पसंद नहीं होती।
दरअसल, चुनाव नतीजे आने से तीन दिन पहले ही वसुंधऱा सक्रिय हो गई थी। जीतने की संभावना रखने वाले निर्दलीय विधायकों से भी उन्होंने संपर्क साधा था। विधायकों को खुद फोन कर बधाई दे रही थी। इसका ही नतीजा है कि राजस्थान की 200 में से 199 सीटों पर आए नतीजों में भाजपा को 115 सीटें मिली हैं। वहीं, कांग्रेस की 69 सीटों पर जीत हुई है। शेष सीटें अन्य छोटी पार्टियों और निर्दलियों को गई है। चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही राज्य में राजनीतिक गहमागहमी तेज हो गई है।
अंतिम रूप से किसके सिर ताज सजेगा यह तो कोई नहीं जनता लेकिन जानकार कह रहे हैं कि सीएम की रेस में ओम बिरला, बाबा बालक नाथ और दीया कुमारी के नामों को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही कुछ नमो पर भी चर्चा चल रही है। कुछ लोग जतियों के हिसाब से नेताओं को आगे बढ़ा रहे हैं जबकि कुछ लोग आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए सीएम की कुर्सी किसे दी जाए इस पर मंथन कर रहे हैं। लेकिन मोदी और शाह के भीतर क्या कुछ चल रहा है यह कोई नहीं जानता। कहने वाले तो यह भी कह सकते हैं कि बीजेपी और कहसकर मोदी कुछ ऐसे फैसले लेते है जो सबको चौंकाता है। ऐसे में कोई नया चेहरा भी सामने आ जाए यह कोई नहीं जानता। लेकिन जो भी सीएम बनेगा उसके ऊपर बड़ी जिम्मेदारी होगी और बड़ी चुनौती भी।

