(कोविड-19 वैक्सीन से पांच लोगों को हुआ नुकसान । एक सोलह साल के बेटे की वैक्सीन लेने के बाद कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई। अब इन लोगों ने बाइडेन प्रशासन और अमेरिकी पब्लिक हेल्थ के अधिकारियों पर सोशल मीडिया कंपनियों से मिलीभगत कर इस स्टोरी को सेंसर करने पर मुकदमा कर रहे हैं)
सोमवार को दायर एक मुकदमे में, अभियोगी- ब्रायन ड्रेसेन सहित कई लोगों को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन लेने के बाद उनकी तंत्रिका को गंभीर नुकसान झेलना पड़ा। अब ड्रेसेन ने अमेरिकी सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों पर मिलीभगत कर वैक्सीन के दुष्प्रभाव वाली स्टोरी को दबाने का गंभीर आरोप लगाया है। ये ऐसी स्टोरी थी जिसमें कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभावों का जिक्र था लेकिन इसे सोशल मीडिया पर सेंसर कर दिया गया।
इस केस में प्रतिवादियों में राष्ट्रपति बाइडन,व्हाइट हाउस के शीर्ष अधिकारी, रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र और अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग शामिल हैं।
ड्रेसेन ने ट्वीट किया है कि- ‘कोविड-19 वैक्सीन के दुष्प्रभाव पर अमेरिकी नागरिक द्वारा पहला मुकदमा दर्ज कराया गया है’
ड्रेसेन,उटाह के साराटोगा स्प्रिंग्स में एक प्री स्कूल टीचर हैं। ड्रेसेन ने कोविड-19 वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में स्वेच्छा से हिस्सा लिया था। अब वह कहती है कि ‘महामारी से अतिरिक्त नुकसान हुआ है’ ड्रेसेन रिएक्ट-19 के सह अध्यक्ष हैं। रिएक्ट-19 एक विज्ञान आधारित गैर लाभकारी संस्था है जो कोविड-19 वैक्सीन के दुष्प्रभाव से पीड़ित लोगों को आर्थिक-भौतिक और इमोशनल सहयोग देती है। एस्ट्रोजेनिक का शॉट लेने के बाद ड्रेसेन ने बड़े पैमाने पर प्रतिकूल प्रभावों का अनुभव किया। ड्रेसेन को धुंधली दृष्टि, ध्वनि और प्रकाश के प्रति गंभीर संवेदनशीलता, हृदय एवं रक्तचाप में उतार-चढ़ाव और तीव्र मस्तिष्क कोहरे की समस्या से जूझना पड़ा। ये समस्या समय के साथ और भी बिगड़ती चली गई।
ड्रेसेन ने बताया कि कोविड वैक्सीन के बुरे प्रभावों के बारे में उनकी स्टोरी को फेसबुक,यूट्यूब,टीक टॉक,गो फंड मी,रेडिट और इंस्टाग्राम ने हटा दिया। ड्रेसन के मुताबिक, अभियोगी के सेंसरशिप के अनुभव “उन हजारों अमेरिकियों की तुलना में फीके हैं क्योंकि सभी ने एक ही चीज का अनुभव किया है।” ‘सिर्फ चुप रहने के लिए मदद पहुंचने से ज्यादा डरावना कुछ नहीं है’। ड्रेसन ने डिफेंडर को बताया कि ‘यह इतना ही डरावना है जितना की वैक्सीन का रिएक्शन’।
ड्रेसन ने जोड़ा कि ‘हमारी संवैधानिक स्वतंत्रता की रक्षा की जानी चाहिए, भले ही हम राष्ट्रीय आपातकाल में हों या नहीं’। ड्रेसेन अब उतार-चढ़ाव के साथ ‘स्थायी विकलांगता’ का अनुभव करती है। ड्रेसेन और अन्य वादी कुछ चुनिंदा लोगों के लिए इस लड़ाई को नहीं लड़ रहे हैं। वे तो दसियों हजारों लोगों की ओर से लड़ रहे हैं जो एक ही तरह के सेंसरशिप का अनुभव कर रहे हैं।
न्यू सिविल लिबर्टीज एलायंस (एनसीएलए) ने ड्रेसन और अन्य वादियों की ओर से मुकदमा दायर किया है, जिसमें क्रिस्टी डॉब्स, निक्की हॉलैंड, सुजाना नेवेल और अर्नेस्ट रामिरेज़ शामिल हैं। रामिरेज़ को छोड़कर सभी ने कोविड-19 वैक्सीन से संबंधित चोटों का अनुभव किया। रामिरेज़ ने बिना किसी प्रतिकूल प्रभाव के मॉडर्ना की वैक्सीन ली है लेकिन उनका 16 साल का बेटा फाईजर वैक्सीन लेने के पांच दिन बाद कार्डियक अरेस्ट से मर गया।
नेवल, मिनेसोटा के सेंट पॉल की एक पूर्व ट्रायथलीट हैं, जिन्हें टीका लगवाने के बाद एक ऑटोइम्यून बीमारी का पता चला था। नेवल अब घूमने-फिरने के लिए वॉकर या बेंत पर निर्भर हैं। यह केस सरकारी जन सेंसरशिप को ‘चौंकाने वाला’ चुनौती देता है।
शिकायत के मुताबिक, वादी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ‘भारी और चल रही सेंसरशिप’ का अनुभव किया। जब उन्होंने टीका लेने के बाद नुकसान पहुंचने के बाद अपने व्यक्तिगत अनुभव या किसी प्रियजन की स्टोरी साझा करने की कोशिश की तो इसे फेसबुक,इंस्टाग्राम,यूट्यूब,ट्वीटर,टिकटॉक और गो फंड मी जैसे प्लेटफॉर्म पर सेंसर कर दिया गया।
उदाहरण के लिए, टिकटॉक ने कई मौकों पर हॉलैंड के उन वीडियो पोस्ट को हटा दिया जिसमें उन्होंने कोविड-19 वैक्सीन से हुए व्यक्तिगत दुष्प्रभावों के अनुभव का जिक्र किया था। टिक टॉक ने बताया कि वीडियो ने ‘हिंसक और ग्राफिक कंटेंट’ पोस्ट कर ‘कम्यूनिटी गाइडलाइन’ का उल्लंघन किया था।
शिकायत के मुताबिक:
“यह मामला सरकार के बड़े पैमाने पर सेंसरशिप कार्यक्रम और उस चौंकाने वाली भूमिका को चुनौती देता है जो उसने निभाई है। उसके एजेंडे के लिए खतरा माने जाने वाले प्रतिकूल दृष्टिकोण को दबा दिया गया है। इस विशाल सेंसरशिप के प्रयास में असंख्य संघीय एजेंसियों,सरकारी एक्टर्स (व्हाइट हाउस के भीतर भी) की भी भूमिका है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ मिलकर उन्होंने सेंसर करने और ‘गलत सूचना’ को फैलाने में भी अहम भूमिका निभाई है। इन गलत सूचनाओं को सरकार स्पष्ट रूप से सच मानती है।”
चिल्ड्रन हेल्थ डिफेंस (सीएचडी) के जनरल काउंसिल किम मैक रोसेनबर्ग ने बताया कि यह नया मुकदमा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कोविड-19 वैक्सीन के नुकसान और कोविड-19 सेंसरशिप के ‘चौराहे पर’ मौजूद है।
मैक रोसेनबर्ग ने द डिफेंडर को बताया कि, “शिकायत में आरोप लगाया गया है कि एक बड़ा सेंसरशिप अभियान चलाया जा रहा है ताकि नैरेटिव को नियंत्रित किया जा सके और कोविड-19 के बारे में सरकारी प्रोपेगेंडा को फैलाया जा सके”
उसने जोड़ा कि: “उन लोगों को चुप कराना जो अभियोगी की तरह पीड़ित हैं। अहंकारी सरकार ने जिस उत्पाद को प्रचारित किया- और कुछ मामलों में तो इसे अनिवार्य तक कर दिया गया। जिन लोगों के ‘पहले अधिकार को संशोधन’ किया गया और उन व्यक्तियों के लिए यह अलग चोट का कारण बनता है”
“इसके अलावा, इन जख्मी लोगों को सेंसर करना जनता को चोट पहुंचाता है, उन्हें इन मुद्दों पर महत्वपूर्ण जानकारी से वंचित करता है” बाइडेन प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मई 2022 में मिसौरी और लुइसियाना ने एक ऐतिहासिक मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मुकदमे में कहा गया है कि बाइडेन प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों ने कथित तौर से सोशल मीडिया दिग्गजों के साथ मिलीभगत कर कोविड-19 और चुनाव सुरक्षा जैसे मुद्दों पर मुक्त संवाद को दबाया।
मिसौरी के पूर्व अटॉर्नी जनरल एरिक श्मिट जो अब एक स्टेट सीनेटर भी हैं, ने आरोप लगाया कि बाइडेन प्रशासन ने “हाल के इतिहास में सबसे बड़े भाषण सेंसरशिप ऑपरेशन” का नेतृत्व किया है। सोशल मीडिया कंपनियों ने उन सूचनाओं को पहले दबाया और सेंसर किया बाद में उसे सत्य के रूप में स्वीकार कर लिया”
मार्च में, CHD के अध्यक्ष रॉबर्ट एफ केनेडी जूनियर और CHD ने बाइडेन के खिलाफ, डॉ.एंथोनी फाउची और अन्य शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों और संघीय एजेंसियों ए क्लास मुकदमा दर्ज किया है। इस मुकदमें में आरोप लगाया गया है कि देश की तीन सबसे बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों ने कोविड-19 टीकों के बारे में संवैधानिक रूप से संरक्षित तथ्य और राय को सेंसर करने के लिए ‘एक व्यवस्थित,ठोस अभियान’ चलाया।
नए मुकदमे पर टिप्पणी करते हुए, एनसीएलए के वरिष्ठ कानूनी वकील पैगी लिटिल ने एक बयान में कहा: “प्रयोगात्मक रूप से अनुमोदित कोविड टीकों से घायल अमेरिकियों को उनकी शारीरिक और मानसिक हितों की अहम जानकारी साझा करने से चुप करा दिया गया, दबा दिया गया, बदनाम और रद्द कर दिया गया”
“सरकारी एक्टर्स ने सोशल मीडिया कंपनियों को वादी के एसोसिएशन और स्पीच के पहले संशोधन अधिकार छीनने के लिए धमकाया और मजबूर किया। वैक्सीन को अनिवार्य करने वाले सरकारी एक्टर्स ने जिस तरह से फ्री स्पीच को दबाया है वह भयावह है।
“एनसीएलए का मुकदमा इन अभियोगियों की नागरिक स्वतंत्रता और सभी अमेरिकियों के लिए पहले संशोधन द्वारा गारंटीड सूचना के मुक्त प्रवाह को बहाल करना चाहता है।हमें फिर से एक महामारी में अपने संवैधानिक असर को कभी नहीं खोना चाहिए”
ड्रेसेन का प्रतिनिधित्व करने वाले एनसीएलए के वकीलों में से एक केसी नॉर्मन और अन्य अभियोगी उनकी बातों से सहमत हुए। उन्होंने कहा कि सरकार का दावा है कि वह “सार्वजनिक सुरक्षा और कल्याण” के लिए “तथाकथित गलत सूचना” को दबाती है।
“सौभाग्य से,” नॉर्मन ने कहा, “पहला संशोधन इससे अलग कहता है: सरकार न तो हमारे क्लाइंट को सेंसर कर सकती है और न ही दूसरों को ऐसा करने के लिए प्रेरित कर सकती है।”
(यह आलेख ‘द डिफेंडर’ में प्रकाशित हुई है, सुज़ैन बर्डिक(पीएच.डी) इस आलेख की लेखिका हैं। जनता को जागरूक करने के लिए इस आलेख के हिंदी रूपांतरण को प्रस्तुत किया गया है)