न्यूज़ डेस्क
चुनाव आयोग ने आखिरकार गुरुवार इलेक्टोरल बॉन्ड के आंकड़े सार्वजनिक कर दिये। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने दो दिन पहले 12 मार्च को आयोग के साथ आंकड़े साझा किये थे। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को उसकी वेबसाइट पर आंकड़े अपलोड करने के लिए 15 मार्च शाम पांच बजे तक का समय दिया था।
चुनाव आयोग ने ‘एसबीआई द्वारा दिए गए इलेक्टोरल बॉन्ड के विवरणों को’ को दो भागों में अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है। इसके साथ जारी विज्ञप्ति में चुनाव आयोग ने कहा है कि सारा विवरण ‘जैसा है, जहां है’ आधार पर अपलोड किया गया है। इसके लिए आयोग ने इन विवरणों का लिंक भी शेयर किया है, जिसके जरिए इसे देखा जा सकता है।
चुनाव आयोग द्वारा अपलोड किए गए आंकड़ों के अनुसार, इलेक्टोरल बॉन्ड के खरीदारों में ग्रासिम इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरप्राइजेज, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स, वेदांता लिमिटेड, अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, सुला वाइन, वेलस्पन, और सन फार्मा शामिल हैं।
आंकड़ों के मुताबिक इलेक्टोरल बॉन्ड भुनाने वाली पार्टियों में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, एआईएडीएमके, बीआरएस, शिवसेना, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस, द्रमुक, जेडीएस, एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस, जेडीयू, आरजेडी, आप और समाजवादी पार्टी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले में बेनामी राजनीतिक फंडिग की इजाजत देने वाली केंद्र की मोदी सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था। पीठ ने इसे “असंवैधानिक” कहा था और चुनाव आयोग को दानदाताओं, उनके द्वारा दान की गई राशि और प्राप्तकर्ताओं का खुलासा करने का आदेश दिया था।
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