बीरेंद्र कुमार झा
जी – 20 शिखर सम्मेलन से पहले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रूस यूक्रेन युद्ध में भारत का रुख , जी- 20 की मेजबानी, चीन के साथ सीमा विवाद और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ,के जी – 20 में ना आने समेत कई मुद्दों पर खुलकर प्रकट किया अपने विचार।
रूस- यूक्रेन युद्ध
रूस यूक्रेन युद्ध के मुद्दे को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारत के रूख को सही ठहराते हुए कहा कि रूस यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर नई विश्व व्यवस्था को संचालित करने में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। भारत ने शांति के अपील करते हुए अपनी संप्रभुता और आर्थिक हितों को प्राथमिकता देकर सही काम किया है।
जी- 20 शिखर सम्मेलन का आयोजन
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वर्ष 2004 से 2014 तक 10 साल भारत के प्रधानमंत्री रहे।इस दौरान उन्होंने कई जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। भारत में आयोजित हो रहे जी-20 शिखर सम्मेलन को लेकर जब उनसे सवाल पूछा गया किअब घरेलू राजनीति में विदेश नीति की भूमिका बदली है, थोड़ी बढ़ी है तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि रोटेशन के तहत जी-20 की अध्यक्षता भारत को मिली है और यह मेरे जीवन काल में ही हो रहा है। विदेश नीति भारत के शासन ढांचे का एक अहम हिस्सा रहा है, लेकिन यह कहना उचित होगा कि विदेश नीति आज घरेलू राजनीति के लिए पहले की तुलना में और अधिक प्रासंगिक और महत्वपूर्ण हो गई है।
मनमोहन सिंह ने आगे कहा कि दुनिया में भारत की स्थिति, भारत की घरेलू राजनीति का मुद्दा होना चाहिए, लेकिन पार्टी या व्यक्तिगत राजनीति के लिए कूटनीति और विदेश नीति के इस्तेमाल में संयम होना चाहिए ।
बदलते वैश्विक परिवेश में भारत की स्थिति पर बात करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि रूस यूक्रेन संघर्ष ,पश्चिमी देशों और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बाद अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था अब बहुत अलग हो गई है। इस नई विश्व व्यवस्था को चलाने में भारत के महत्वपूर्ण भूमिका है।आजादी के बाद से हमने जिन संवैधानिक मूल्यों को अपनाया, उससे एक शांतिपूर्ण लोकतंत्र कायम हुआ और आज एक बड़ी और बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में भारत को विश्व स्तर पर बहुत अधिक सम्मान हासिल है।
रूस और पश्चिम के बीच भारत के संतुलन बनाने का प्रयास
रूस यूक्रेन युद्ध के बाद से पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाकर उसे अलग-अलग करने की पूरी कोशिश की है, हालांकि भारत ने पश्चिमी गुट में शामिल होने के बजाय शांति की अपील करते हुए रूस के साथ व्यापारिक और राजनीतिक संबंधों को जारी रखा। राष्ट्रीय हितों को देखते हुए भारत ने रूस से तेल की खरीद रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा दी।पहले तो पश्चिमी देशों ने भारत के इस कदम का विरोध किया, लेकिन भारत के ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के तर्क के बाद उन्हें समझ आ गया कि भारत किसी तरह के दबाव में आने वाला नहीं है।
भारत ने रूस के साथ अपने संबंधों को बरकरार रखते हुए अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है। जी – 20 शिखर सम्मेलन में भी भारत संतुलन बनाने की पूरी कोशिश करेगा।
भारत के संतुलन बनाने की कोशिशें की तारीफ करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि जब दो या दो से अधिक शक्तियां किसी संघर्ष में उलझ जाती है ,तो बाकी के देशों पर किसी एक पक्ष को चुनने का भारी दबाव होता है। मैं मानता हूं कि भारत ने शांति की अपील करते हुए अपनी संप्रभुता और आर्थिक हितों को प्राथमिकता देकर सही काम किया है। जी-20 सुरक्षा से जुड़े संघर्ष को सुलझाने का मंच कभी नहीं रहा।ऐसे में यह जरूरी है कि जी-20 सुरक्षा मुद्दों को परे रखते हुए जलवायु असमानता और वैश्विक व्यापार के क्षेत्र में सहयोग पर फोकस करे।
भारत चीन तनाव पर बोले मनमोहन सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत और चीन ब्रिक्स के साथ-साथ जी 20 के भी सदस्य हैं।चीनी राष्ट्रपति ने हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित शिखर सम्मेलन में तो हिस्सा लिया था, लेकिन वह भारत में आयोजित हो रहे जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। दोनों देशों के बीच का सीमा विवाद उनके ना आने की एक वजह बताई जा रही है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि पिछले कुछ सालों से भारत- चीन के बीच नियंत्रण रेखा पर तनाव का माहौल है।अभी हाल ही में चीन ने एक नक्शा जारी कर इस विवाद को और बढ़ा दिया है।चीन ने अपने नए नक्शे में और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों और ऑक्साई चीन को अपना हिस्सा बताया ,जिस पर भारत ने सख्त आपत्ति जता दिया था ।इसी तनाव के बीच चीन ने कह दिया शी जिनपिंग जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने भारत नहीं आ रहे हैं बल्कि उनकी जगह चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग भारत आएंगे।
मनमोहन सिंह से जब भारत चीन रिश्तो को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार को सलाह देने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जटिल राजनीतिक समस्याओं से कैसे निपटे ,इस संबंध में मेरा उन्हें सलाह देना उचित नहीं होगा।यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दिल्ली में आयोजित जी 20 सम्मेलन में नहीं आने का फैसला किया है। मुझे विश्वास है और मैं आशा करता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे और द्विपक्षीय रिश्तों को सामान्य करेंगे।