न्यूज डेस्क
द वायर के लिए चर्चित पत्रकार करण थापर को दिए एक साक्षात्कार में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की कार्यशैली पर कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पुलवामा आतंकी हमला सरकारी चूक का परिणाम था। लगभग एक घंटे के इस साक्षात्कार में मलिक ने खुलासा किया कि पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला भारतीय सिस्टम, विशेष रूप से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और गृह मंत्रालय की ‘अक्षमता’ और ‘लापरवाही’ का नतीजा था उस समय राजनाथ सिंह गृह मंत्री थे। मलिक ने विस्तार से बताया कि कैसे सीआरपीएफ ने अपने जवानों को ले जाने के लिए विमान की मांग की थी लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इनकार कर दिया था। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे रास्ते में प्रभावी ढंग से सुरक्षा इंतजाम नहीं किया गया था।
बातचीत में मलिक ने कहा कि मोदी ने उन्हें पुलवामा हमले के तुरंत बाद कॉर्बेट पार्क के बाहर से बुलाया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने उनसे इस बारे में चुप रहने और किसी को न बताने को कहा था। इसके अलावा मलिक ने कहा कि एनएसए अजीत डोभाल ने भी उन्हें चुप रहने और इस बारे में बात न करने के लिए कहा था।
मलिक ने कहा कि उन्हें फौरन एहसास हुआ कि यहां इरादा पाकिस्तान पर दोष मढ़ना और सरकार और भाजपा के लिए चुनावी फायदा पाना था। मलिक ने यह भी कहा कि पुलवामा की घटना में गंभीर खुफिया चूक भी हुई थी क्योंकि 300 किलोग्राम आरडीएक्स ले जाने वाली कार पाकिस्तान से आई थी, लेकिन बिना किसी की नजर में आए या जानकारी के 10-15 दिनों तक जम्मू कश्मीर की सड़कों और गांवों में घूम रही थी।
मलिक ने आगे बताया कि कैसे जब वे जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे, तो भाजपा-आरएसएस नेता राम माधव ने एक पनबिजली योजना और एक रिलायंस बीमा योजना को मंजूरी देने के लिए उनसे संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया था कि ‘मैं गलत काम नहीं करूंगा। उन्होंने बताया कि माधव एक सुबह सात बजे उनसे मिलने पहुंचे थे ताकि उनका मन बदल सके। मलिक ने कहा कि उस समय लोग उनसे कह रहे थे कि दोनों योजनाओं को मंजूरी देने के लिए उन्हें 300 करोड़ रुपये मिल सकते थे।
मलिक ने आगे जोड़ा कि प्रधानमंत्री कश्मीर के बारे में ‘अनभिज्ञ’ हैं और ‘गलत जानकारी’ रखते हैं । उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर से पूर्ण राज्य का दर्जा वापस लेना गलती थी और इसे जल्द से जल्द सुधारा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री अपने में मस्त हैं ।’मोदी के बारे में मलिक ने कहा कि प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार की जरा भी चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें अगस्त 2020 में गोवा के राज्यपाल के पद से हटा दिया गया और मेघालय भेजा गया था क्योंकि उन्होंने भ्रष्टाचार के कई मामलों को प्रधानमंत्री के ध्यान में लाया था जिसे सरकार ने निपटने के बजाय अनदेखा करना चुना था। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के आसपास के लोग भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और अक्सर पीएमओ के नाम का इस्तेमाल करते हैं। मलिक ने कहा कि उन्होंने यह सब मोदी को बताया था, लेकिन उन्हें इसकी परवाह नहीं है। तभी उन्होंने कहा, ‘मैं सुरक्षित रूप से कह सकता हूं प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार से बहुत नफरत नहीं है।
मलिक ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा दी गई सभी नियुक्तियों की वास्तव में पीएमओ द्वारा जांच की जाती है। उन्होंने कहा कि जब वह राज्यपाल थे तब राष्ट्रपति द्वारा की गई नियुक्ति को ऐन वक्त पर तब रद्द कर दिया गया था जब वह राष्ट्रपति भवन के रास्ते में थे। मलिक ने इस इंटरव्यू में निम्न बिंदुओं पर भी बात की:उनका कहना है कि प्रधानमंत्री का बीबीसी मामले को संभालने में बड़ी ग़लती की है। मलिक ने पीएम और उनके कई मंत्रियों द्वारा मुस्लिमों के साथ किए जा रहे बर्ताव की तीखी आलोचना की। उनका यह भी कहना था कि अडानी समूह संबंधी आरोपों के कारण प्रधानमंत्री को गंभीर नुकसान हुआ है और यह बात गांवों तक पहुंच चुकी है, जिससे आगामी आम चुनावों में भाजपा को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर अगर विपक्ष भाजपा के खिलाफ एक भी उम्मीदवार खड़ा कर दे। मलिक ने यह भी जोड़ा कि राहुल गांधी को संसद में बोलने की अनुमति न देना एक अभूतपूर्व गलती थी ।राहुल गांधी ने अडानी घोटाले पर सही सवाल उठाया, जिसका स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री जवाब नहीं दे सके। मलिक ने सरकार पर ‘थर्ड क्लास’ लोगों को राज्यपाल नियुक्त करने का आरोप भी लगाया ।