महाराष्ट्र की महायुती सरकार में शामिल तीनों दलों के बीच लगातार अंदरूनी खींचतान और राजनीति की खबरें सामने आती रहती हैं।मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अब उप-मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले नगर विकास विभाग के कामकाज को लेकर एक अहम फैसला लिया है।
इस निर्णय के अनुसार, अब नगर विकास विभाग की बड़ी धनराशि वाली फाइलें तभी आगे बढ़ेंगी, जब मुख्यमंत्री फडणवीस खुद उस पर मंजूरी देंगे।
राजनीतिक हलकों में इसे एकनाथ शिंदे को झटका देने वाला कदम बताया जा रहा है, खासकर आगामी स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनावों को ध्यान में रखते हुए।नगर विकास और ग्राम विकास ये दो विभाग इन चुनावों में अहम माने जाते हैं। इनमें ग्राम विकास विभाग बीजेपी के पास है, जबकि नगरविकास विभाग की जिम्मेदारी शिंदे गुट के पास है।
नगर विकास विभाग के जरिए विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत विधायकों और नगर सेवकों को निधि दी जाती है। लेकिन हाल के दिनों में सिर्फ शिंदे गुट के नेताओं को ही प्राथमिकता मिलने की बात सामने आई है।महायुती के अन्य दलों के विधायक इस पक्षपात से नाराज़ थे और उन्होंने इस मुद्दे को हाल ही में समाप्त हुए मानसून सत्र के दौरान फडणवीस के समक्ष उठाया था।
अब मुख्यमंत्री कार्यालय यह भी देखेगा कि राज्य के सभी जिलों में नगर विकास निधि समान रूप से वितरित हो रहा है या नहीं। चूंकि चुनावी समय में इस विभाग से बड़ा बजट जारी होता है, इसलिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उसमें किसी प्रकार का पक्षपात न हो।
अब नगर विकास विभाग के तहत आने वाले किसी भी योजना के लिए, जहां बड़ी राशि मंजूर की जानी है, वहां पहले एकनाथ शिंदे की सिफारिश के बाद वह फाइल मुख्यमंत्री फडणवीस के पास जाएगी। और उनकी मंजूरी के बाद ही वह राशि वितरित की जा सकेगी।
चूंकि शिंदे गुट में इनकमिंग (अन्य दलों के नगरसेवकों का शामिल होना) बढ़ने की संभावना है और ऐसी स्थिति में शिंदे गुट के नगर सेवकों को खुलकर निधि देने की बात थी लेकिन अब उस पर नियंत्रण रहेगा।महायुती में यह भी शिकायत रही है कि शिवसेना की सत्ता वाली महानगरपालिकाओं को ही नगरविकास विभाग से भारी रकम दी जाती है, जबकि अन्य हिस्सों को अपेक्षित रूप से हिस्सा नहीं मिलता। अब फडणवीस के हस्तक्षेप से यह असंतुलन थम सकता है।