बिहार में शिक्षा में सुधार के पर्याय बन चुके शिक्षा विभाग के मुख्य अपर सचिव केके पाठक द्वारा स्कूलों में लागू करवाई गई नई समय सारणी को लेकर शिक्षक और शिक्षक संगठनों से रार ठान गई है। शिक्षक और शिक्षक संगठन इस नई समय सारणी का विरोध कर रहे हैं।गौरतलब है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुसार बिहार के शिक्षा विभाग ने पिछले दिनों गर्मी को देखते हुए बिहार के सभी स्कूलों का समय सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक करने का निर्देश जारी किया है। जब शिक्षक और शिक्षक संगठन इसका पुरजोर विरोध करने लगे, तो शिक्षा विभाग ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डालकर कानून का हवाला देते हुए इसमें किसी भी तरह से परिवर्तन करने का करने से इनकार कर दिया है।
शिक्षक समय को लेकर कर रहे हैं विरोध
शिक्षकों का कहना है कि स्कूलों की नई समय सारणी उनके अनुकूल नहीं हैं,वे सुबह 6 बजे तक स्कूल नहीं पहुंच सकते हैं। शिक्षक के पक्ष में कई नेताओं ने भी सामने आकर सरकार से इस पर जवाब-तलब किया था।बिहार विधान परिषद के 5 एमएलसी ने शिक्षकों का पक्ष लेते हुए पत्र लिखकर शिक्षा मंत्री से सरकारी स्कूल के समय में बदलाव की मांग की थी।सुबह 6 बजे के बजाए स्कूल का टाइम 6:30 सुबह से 11:30 बजे तक किया जाए,ताकि शिक्षकों को स्कूल आने में कोई परेशानी ना हो।
शिक्षा विभाग ने कहा कि कानून के तहत करना होगा काम
शिक्षकों के विरोध और विधान पार्षदों के पत्र के बाद शिक्षा विभाग ने जवाब देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत स्कूल में कार्य अवधि 7.5 घंटे निर्धारित है।शिक्षा विभाग ने पोस्ट में आगे लिखा लिखा कि निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत प्रतिदिन शिक्षकों के लिए कार्य अवधि 7.5 घंटे निहित है।शिक्षा विभाग के इस पोस्ट से स्पष्ट है कि शिक्षा विभाग के लिए कानून के तहत स्कूल अवधि को इससे कम करना संभव नहीं है।
नई समय सारणी में बदलाव के मूड में नहीं हैं केके पाठक
शिक्षा के अधिकार कानून के रहने की वजह से शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक किसी की सुनने वाले नहीं हैं।हमेशा की तरह इस बार भी वे सरकार के बनाये नियम पर अडिग हैं।जब तक कानून नहीं बदलेगा तबताक वे समय सारणी में कोई बदलाव नहीं करेंगे।शिक्षा विभाग द्वारा सोशल मीडिया पर डाले गए पोस्ट के बाद से तो यही जाहिर है कि अब गेंद विधान परिषद के सदस्यों के पाले में गेंद चला गया है।स्कूल अवधि में कोई भी बदलाव तभी संभव है जब विधानसभा अधिनियम में संशोधन करे।बहरहाल स्कूल की टाइमिंग को लेकर अंतिम फैसला क्या होता है इसके लिए अभी इंतजार करना होगा।