बीरेंद्र कुमार झा
प्रवर्तन निदेशालय (ED ) ने शुक्रवार को आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद और उनके बेटे तेजस्वी यादव के कथित सहयोगी अमित कात्याल को नौकरी के बदले जमीन घोटाले मामले में धन-शोधन की जांच के सिलसिले में हिरासत में ले लिया।आधिकारिक सूत्रों ने दावा किया कि कात्याल करीब 2 महीने से पूछताछ के लिए एजेंसी के समान से बच रहे थे। ईडी के अधिकारियों ने उसे धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत दिल्ली से हिरासत में लिया। संघीय एजेंसी ने मार्च में कात्याल के परिसरों पर छापा मारा था। उसी समय लालू प्रसाद, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव उनकी बहनों और उनके परिसरों की भी तलाशी ली गई थी।
कत्याल लालू के करीबी और लाभार्थी थे
ईडी के अनुसार कात्याल राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो के करीबी सहयोगी होने के साथ-साथ एके इन्फोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व निदेशक भी हैं। एके इन्फोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड इस मामले में कथित तौर पर एक लाभार्थी कंपनी है।और इसका पंजीकृत पता दक्षिणी दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में एक आवासीय इमारत है। इसका उपयोग यादव के द्वारा किया जा रहा कथित घोटाला उस समय का है,जब लालू प्रसाद यूपीए एक सरकार में रेल मंत्री थे।
2004 से 2009 के बीच की अवैध नियुक्ति
आरोप है कि 2004 से 2009 तक भारतीय रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में समूह डी के पदों पर कई लोगों को नियुक्त किया गया थाऔर बदले में इन लोगों ने अपनी जमीन तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों व एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दी थी। पीएमएलए की आपराधिक धाराओं के तहत दर्ज किया गया ईडी द्वारा दर्ज यह मामला केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एक शिकायत के आधार पर है।
नौकरी के बदले बहुत सस्ती दर लालू और इसके परिवार को बेची थी जमीन
सीबीआई के अनुसार नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की गई थी, लेकिन पटना के कुछ निवासियों को मुंबई, जबलपुर ,कोलकाता, जयपुर व हाजीपुर में भिन्न रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था ।सीबीआई ने आरोप लगाया है कि बदले में उम्मीदवारों ने सीधे या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से कथित तौर पर लालू प्रसाद, लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों को अत्यधिक रियायती दरों पर जमीन बेची जो मौजूदा बाजार दरों की एक चौथाई से पांचवें हिस्से तक थी।