Homeटेक्नोलॉजीDRDO ने रचा एक और इतिहास, इंटरसेप्टर मिसाइल AD-1 का किया गया...

DRDO ने रचा एक और इतिहास, इंटरसेप्टर मिसाइल AD-1 का किया गया सफल परीक्षण

Published on

न्यूज डेस्क
डीआरडीओ के नाम एक और बड़ी कामयाबी जुड़ गई है। डीआरडीओ ने इंटरसेप्टर मिसाइल AD-1 का सफल परीक्षण किया है। यह मिसाइल बैलिस्टिक मिसाइल को हवा में ही नष्ट करने में सक्षम है। पहले टारगेट पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल दागी गई, फिर ओडिशा के एलसी-IV धामरा से इंटरसेप्टर मिसाइल AD-1 लॉन्च की गई। दोनों ही मिसाइलें दुश्मन की IRBM मिसाइल को इंटरसेप्ट कर सकती हैं। यानी 5 हज़ार km की रेंज वाली मिसाइलों को आसानी से मार गिरा सकती हैं। DRDO ने ये टेस्ट बुधवार शाम चार बजकर 20 मिनट पर किया। इस टेस्ट से पहले 10 गांव के 10,581 लोगों को शिफ्ट किया गया था।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक फ्लाइट टेस्ट के दौरान सभी परीक्षण लक्ष्यों को शत प्रतिशत हासिल किया गया, जिससे सम्पूर्ण नेटवर्क-केंद्रित युद्ध अस्त्र प्रणाली की पुष्टि हुई।

मंत्रालय के मुताबिक, मिसाइल का टेस्ट ओडिशा के चांदीपुर स्थित ‘इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज’ (आईटीआर) में किया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल उड़ान परीक्षण के लिए ‘डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन’ (डीआरडीओ) की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस टेस्ट ने एक बार फिर भारत की बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस क्षमता का प्रदर्शन किया है। मंत्रालय ने कहा, “डीआरडीओ ने 24 जुलाई को बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम के दूसरे चरण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।”

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक टारगेट मिसाइल को एक दुश्मन बैलिस्टिक मिसाइल के प्रारूप के तौर पर लॉन्च किया गया, जिसका भूमि और समुद्र पर तैनात वेपन सिस्टम रडारों द्वारा पता लगा लिया गया और ‘इंटरसेप्टर’ सिस्टम को एक्टिव कर दिया गया। मंत्रालय ने कहा, “दूसरे चरण में एडी एंडो-एटमॉस्फेरिक मिसाइल को अपराह्न चार बजकर 24 मिनट पर चांदीपुर स्थित आईटीआर के एलसी-3 से दागा गया।”

मंत्रालय ने कहा, दूसरे चरण की एडी अंतः-वायुमंडलीय मिसाइल स्वदेशी रूप से विकसित दो चरणीय ठोस ईंधन प्रणोदित एवं जमीन से दागी जाने वाली मिसाइल प्रणाली है। इसका मकसद निम्न बाह्य-वायुमंडलीय क्षेत्रों की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में दुश्मन के कई प्रकार के बैलिस्टिक मिसाइल खतरों को निष्प्रभावी करना है।

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उड़ान परीक्षण ने सभी परीक्षण उद्देश्यों को पूरा किया, जिससे लंबी दूरी के सेंसर, कम विलंबता संचार प्रणाली और उन्नत इंटरसेप्टर मिसाइलों से युक्त एक पूर्ण नेटवर्क केंद्रित युद्ध अस्त्र प्रणाली की पुष्टि हुई। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “इस परीक्षण ने 5000 किलोमीटर श्रेणी की बैलिस्टिक मिसाइलों से बचाव करने की देश की स्वदेशी क्षमता को प्रदर्शित किया है।”

इसमें कहा गया, “मिसाइल के प्रदर्शन की निगरानी आईटीआर, चांदीपुर द्वारा जहाज सहित विभिन्न स्थानों पर तैनात इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सिस्टम, रडार और टेलीमेट्री केंद्रों जैसे निगरानी उपकरणों द्वारा प्राप्त उड़ान आंकड़ों से की गई।” भारत पृथ्वी की वायुमंडलीय सीमाओं के अंदर और बाहर दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने की क्षमता विकसित कर रहा है।

Latest articles

आदमपुर में गरजे पीएम मोदी,घर में घुसकर मारेंगे, नहीं मिलेगा बचने का मौका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार पंजाब को आदमपुर एयरबेस पहुंचे।यहां उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता...

रोहित और विराट के 2027 वनडे विश्वकप नहीं खेल पाने के गावस्कर के बयान से खलबली

विराट कोहली और रोहित शर्मा ने केवल 6 दिन के अंदर ही टेस्ट क्रिकेट...

बिना इंटरनेट के देखें वीडियो और टीवी, जानिए क्या है ये तकनीक और कैसे करती है काम

भारत में बीते कुछ समय से Direct-to-Mobile (D2M) तकनीक को लेकर काफी चर्चा है।जानकारी...

 अजय देवगन की फिल्म रेड 2 फ्लॉप हुई या हिट, रेड 2 ने 13 दिनों में कमाए इतने करोड़

बॉलीवुड एक्टर अजय देवगन की रेड 2 बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही है।फिल्म...

More like this

आदमपुर में गरजे पीएम मोदी,घर में घुसकर मारेंगे, नहीं मिलेगा बचने का मौका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार पंजाब को आदमपुर एयरबेस पहुंचे।यहां उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता...

रोहित और विराट के 2027 वनडे विश्वकप नहीं खेल पाने के गावस्कर के बयान से खलबली

विराट कोहली और रोहित शर्मा ने केवल 6 दिन के अंदर ही टेस्ट क्रिकेट...

बिना इंटरनेट के देखें वीडियो और टीवी, जानिए क्या है ये तकनीक और कैसे करती है काम

भारत में बीते कुछ समय से Direct-to-Mobile (D2M) तकनीक को लेकर काफी चर्चा है।जानकारी...