न्यूज़ डेस्क
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर बड़ा ही गंभीर आरोप लगा दिया है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को एक पत्र लिख कर यह आरोप लगाया है कि महू अमोईत्रा सवाल पूछने के नाम पर पैसे वसूल करती है और इसकी जांच करवानी चाहिए। सांसद दुबे के इस आरोप का जवाब महुआ ने भी दिया है लेकिन अब इसे बीजेपी और टीएमसी के बीच एक नई सियासी लड़ाई मानी जा रही है।
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ एक जांच समिति गठित करने और उन्हें सदन से ‘तत्काल निलंबित’ करने की मांग की है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा है। निशिकांत का आरोप है कि ‘संसद में सवाल पूछने के लिए महुआ पैसे लेती हैं। भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच ये नई सियासी लड़ाई की शुरुआत मानी जा रही है।
बता दें कि निशिकांत का आरोप है कि महुआ ने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत ली है। भाजपा सांसद ने दावा किया है कि दोनों के बीच नकद और उपहारों के रूप में आदान-प्रदान हुए हैं। निशिकांत के आरोपों पर तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ ने करारा पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि अगर प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरोको अदाणी मामले में जांच के बाद फुर्सत मिले तो वे उनके पास जांच करने आ सकते हैं।
बता दें कि निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहद्राई के पत्र का हवाला देते हुए जांच की मांग की। ओम बिरला को लिखे पत्र में बीजेपी सांसद ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर लोकसभा में सवाल पूछने के नाम पर घूस लेने का आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा कि ये सदन की अवमानना है। इसकी तत्काल जांच कराई जाए। पत्र में उन्होंने कहा, ”मुझे जय अनंत देहाद्राई, अधिवक्ता का एक पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें उन्होंने महुआ मोइत्रा पर सवाल के बदले रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। बीजेपी सांसद ने पत्र में लिखा है कि एक प्रसिद्ध बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी के बिजनेस हितों को ध्यान में रखते हुए सवाल पूछे गए।”
निशिकांत दुबे ने पत्र में लिखा कि महुआ मोइत्रा के हालिया 61 सवालों में से 50 सवाल ऐसे हैं, जो दर्शन हीरानंदानी और उनकी कंपनी के व्यावसायिक हितों की रक्षा करने या उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए पूछे गए।
पत्र में कहा गया है, “जब भी संसद सत्र होता है, मोहुआ मोइत्रा और सौगत रॉय के नेतृत्व में वह किसी न किसी बहाने, हर किसी के साथ लगातार दुर्व्यवहार करके सदन की कार्यवाही को बाधित करती हैं। मैं और कई अन्य संसदों हमेशा हैरान रहते थे कि महुआ मोइत्रा के नेतृत्व वाली टीएमसी की ‘चिल्लाने वाली ब्रिगेड’ ऐसी रणनीति क्यों अपनाती है, जो मुद्दों पर बहस करने और चर्चा करने के अन्य सदस्यों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।