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जातिगत गणना और अडानी के मुद्दे पर इंडिया में उभरे मतभेद ,ममता और उद्धव ने उठाये सवाल !

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न्यूज डेस्क 
मुंबई में आयोजित इंडिया गठबंधन की बैठक समाप्त हो चुकी है। सोशल मीडिया में इस आयोजन को काफी जगह दी गई। हालांकि मेन स्ट्रीम मीडिया में दिखाने के लिए कुछ ख़बरें चला दी गई। इंडिया गठबंधन की इस बैठक में कई फैसले लिए गए हैं। समन्वय समिति बनायी गयी , सरकार को हराने का संकल्प भी पारित किया गया और इसके साथ ही मीडिया को लेकर भी उपसमिति बनाई गई। सबने एक साथ यही कहा कि तमाम अवरोधों के बाद भी हम एक होकर चुनाव लड़ेंगे और बीजेपी को हराएंगे।
      
हालांकि जातिगत गणना के मामले में आपसी सहमति नहीं नहीं बनी। एक प्रस्ताव भी इस मसले पर लाया गया जिसका ममता बनर्जी और उद्धव ठाकरे ने विरोध किया। फिर इस राजनीतिक प्रस्ताव को वापस ले लिया गया। फिर कहा गया कि सभी दलों से इस पर चर्चा करके ही इसे आगे बढ़ाया जायेगा।

गौरतलब है कि विपक्षी गठबंधन इंडिया की रणनीति सामाजिक न्याय को मोदी सरकार और भाजपा के खिलाफ आगामी लोकसभा चुनाव में मुख्य हथियार बनाने की है। इसी कड़ी में बंगलुरू में हुई गठबंधन की दूसरी बैठक में जातिगत जनगणना को ले कर सामूहिक संकल्प भी पारित किया गया था। इसमें विशेष रूप से जातिगत जनगणना के कार्यान्वयन पर जोर दिया गया था। हालांकि मुंबई में स्थिति बदल गई। जदयू सूत्रों के मुताबिक बैठक में जातिगत जनगणना कराने की मांग को ले कर एक राजनीतिक प्रस्ताव भी तैयार किया गया था। सपा, राजद और जदयू सहित कई दल इस प्रस्ताव को पारित कराने के पक्ष में थे। हालांकि पहले पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और उसके बाद शिवसेना के विरोध के कारण प्रस्ताव को वापस ले लिया गया। तय किया गया कि इस संबंध में गठित की गई समन्वय समिति गठबंधन के सहयोगी दलों से बातचीत कर रास्ता निकालेगी।

कहा जा रहा है कि गठबंधन में अगर जातिगत जनगणना पर सहमति नहीं बनी तो तकरार बढ़ सकती है। दरअसल सामाजिक न्याय की राजनीति के तहत मोदी सरकार को घेरने के लिए जहां बिहार की जदयू-राजद सरकार राज्य में जातिगत जनगणना करा रही है, वहीं सपा, डीएमके जैसे कई दल जातिगत जनगणना के समर्थन में हैं। दूसरी ओर टीएमसी और शिवसेना को लगता है कि इसका समर्थन करने के कारण अगड़ा वर्ग उनसे नाराज हो सकता है। और ऐसा हो भी सकता है। क्योंकि हर राज्य की अपनी कहानी है और हर पार्टी के अपने वोट बैंक। पार्टियां इधर से उधर तो जा सकती है लेकिन कोई भी पार्टी नहीं चाहती कि उसका वोट बैंक खराब हो। ऐसे में इंडिया के भीतर बने कोर्डिनेटर ही ऐसे मसलों को हल कर सकते हैं। जिन मसलों का हल संभव नहीं है उसे तत्काल छोड़ दिया जा सकता है। 

जाति गणना के अलावा अडानी के मुद्दे पर भी मतभेद उभर कर सामने आया। बताया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की ओर से अडानी  मामले को तूल दिए जाने से नाराज हो गई हैं। दरअसल इंडिया की बैठक के बाद राहुल गांधी ने अदाणी का मुद्दा उठाकर मोदी सरकार पर हमला बोला। सूत्र बताते हैं कि इसपर ममता ने यह कहते हुए नाराजगी जताई कि इस बारे में पहले सहयोगियों के बीच चर्चा नहीं की गई। ममता का कहना था कि जब गठबंधन बन गया है तो ऐसे मुद्दों पर सामूहिक रूप से रणनीति तय हो। ममता की नाराजगी इस बात को लेकर भी बताई जा रही है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस ने अबतक गठबंधन को लेकर अपना रुख साफ नहीं किया है। 

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