अखिलेश अखिल
दिल्ली शराब घोटाले में सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद अब क्या होगा यह कोई नहीं जानता। लेकिन एक बात तो सच है कि सीएम केजरीवाल समेत आप पार्टी की साख पर बड़ा आघात लगा है। साख गिरी है और जनता में इस बारे में कई तरह की बाते की जा रही है। अब सामने चुनाव भी है और चुनाव में इस खेल का क्या असर होता है इसे भी समझने की जरूरत है। बीजेपी को इस खेल का कितना लाभ मिलेगा यह भी देखा जाएगा और और केजरीवाल को इसका कितना लाभ होगा या हानि होगी इस पर भी मंथन जारी है।
दिल्ली की सियासत में बड़ा उफान बृहस्पतिवार को देखने को मिला। शाम ढलते ही मुख्यमंत्री निवास पर प्रवर्तन निदेशालय की टीम पहुंच गई और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से शराब नीति मामले में पूछताछ शुरू कर दी। रात होते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी के दो बड़े नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह पहले ही जेल जा चुके हैं। अब तक किन-किन लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है, नई शराब नीति में किस तरह के भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और इसकी जांच कैसे शुरू हुई? इन्हीं सवालों का जवाब आपको यहां मिलेगा।
सबसे पहले यह जानने की जरुरत है है कि आखिर शराब घोटाला है क्या ? 17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने राज्य में नई शराब नीति लागू की। इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए और हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं। इस तरह से कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं। नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया। इसके पहले दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं। नई नीति लागू होने के बाद 100 प्रतिशत प्राइवेट हो गईं। सरकार ने तर्क दिया था कि इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा।
जुलाई 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव ने आबकारी नीति में अनियमितता होने के संबंध में एक रिपोर्ट उपराज्यपाल को सौंपी थी। इसमें नीति में गड़बड़ी होने के साथ ही तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।
इस रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल ने नई आबकारी नीति (2021-22) के क्रियान्वयन में नियमों के उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों का हवाला देकर 22 जुलाई, 22 को सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इस पर सीबीआई ने सिसोदिया समेत 15 के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इस आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।
सीबीआई और ईडी का आरोप है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया। इसमें लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया। इस नीति से सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
मामले में जांच की सिफारिश करने के बाद 30 जुलाई, 22 को दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को वापस लेते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी थी। आबकारी विभाग के प्रमुख रहते हुए मनीष सिसोदिया ने मार्च 2021 में नई आबकारी नीति का ऐलान किया था। 17 नवंबर 2021 को इसे लागू किया।
उपमुख्यमंत्री ने कहा था कि नई नीति के तहत शराब की बिक्री में सरकार की कोई भूमिका नहीं थी। इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए और हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं। इस तरह से कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं।
नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया। इसके पहले दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत निजी थीं। नई नीति लागू होने के बाद 100 प्रतिशत प्राइवेट हो गईं। सरकार ने तर्क दिया था कि इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा।