बीरेंद्र कुमार झा
जी – 20 सम्मेलन के दौरान भारत – मिडल ईस्ट और यूरोप के बीच आर्थिक कोरिडोर बनाए जाने के लिए समझौता हो चुका है। इस समझौते ने पाकिस्तान में हलचल मचा दी है। इसके बारे में जानकारी होते ही पाकिस्तान के लोग अपनी सरकार को जमकर कोस रहे हैं ।इतना ही नहीं पाकिस्तानी इस पर शर्मिंदा तक महसूस कर रहे हैं। पाकिस्तानी नागरिक इसे आखिरी वेक अप कॉल बता रहे हैं और देश की सरकार में बदलाव की मांग कर रहे हैं।गौरतलब है कि इस आर्थिक गलियारे के बनने के बाद चीन की बेल्ट एंड रोड (BRI)का महत्व कम हो जाने वाला है। भारत – मिडल ईस्ट – यूरोप इकोनामिक कॉरिडोर में भारत, यूएई सऊदी अरब, यूरोपीय यूनियन, फ्रांस इटली ,जर्मनी और अमेरिका शामिल है।
सोशल मीडिया पर नाराजगी
भारत की राजधानी में दुनिया भर के नेताओं की मौजूदगी के बाद भारत – पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच इकोनामिक कॉरिडोर के ऐलान ने पाकिस्तानियों को चिंता में डाल दिया है, उन्हें लगता है कि ऐसा होने के बाद पाकिस्तान वैश्विक आर्थिक मोर्चे पर अलग-अलग पड़ जाएगा एक पाकिस्तानी सोशल मीडिया यूज़र ने एक्स पर लिखा कि एक पाकिस्तानी होने के नाते मुझे काफी ज्यादा शर्म आ रही है। उसने आगे लिखा कि हमारा देश बेहतर नेतृत्व जिम्मेदारी और चमकदार भविष्य डिजर्व करता है।अब समय आ गया है कि बदलाव हो और ऐसे जिम्मेदार लोग सामने आ जाएं जो हकीकत में हमारा प्रतिनिधित्व करते हों।
सऊदी अरब से है काफी उम्मीद
एक अन्य पाकिस्तानी सोशल मीडिया यूज़र ने लिखा कि वक्त आ चुका है कि हम अपने घर को व्यवस्थित करें और अपनी प्राथमिकताएं तय करें ।इच्छाधारी सोच और निम्न स्तर की राजनीति हमें कहीं नहीं ले जाएगी। उसने आगे लिखा कि अपनी क्षमताओं पर काम करने की जरूरत है और हमें उसे दिशा में जाना चाहिए जिसकी हमारे देश को जरूरत है गौरतलब है कि यह घोषणा ऐसे वक्त पर हुई है जब पाकिस्तान सऊदी अरब से अपने देश में 25 मिलियन डॉलर के निवेश की उम्मीद कर रहा था। पाकिस्तान के केयरटेकर प्रधानमंत्री अनावरुल हक काकड़ ने सोमवार को कहा था कि सऊदी अरब माइनिंग ,कृषि और आईटी सेक्टर में निवेश करेगा पाकिस्तान को उम्मीद है कि कर्ज से घिरी उसकी अर्थव्यवस्था को इससे काफी मदद मिलेगी।
चीन के बीआरआई पर चोट
भारत- मिडल ईस्ट – यूरोप इकोनामिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट के तौर पर रेल और शिपिंग कॉरिडोर होंगे। इसके जरिए एशिया से यूरोप तक व्यापार किया जाएगा। इस कॉरिडोर के जरिए भारत में बनाए गए सामान को समुद्र के रास्ते पहले संयुक्त अरब अमीरात (UAE) पहुंचाया जाएगा।इसके बाद यूएई से सऊदी अरब और जॉर्डन होते हुए यह रेल मार्ग से इजरायल के हाईफा बंदरगाह तक पहुंचेगी। इसके बाद समुद्री मार्ग के जरिए भारतीय समान को हाईफा से यूरोप ले जाया जाएगा।इस पूरे रास्ते में रेल मार्ग और समुद्री मार्ग की भूमिका काफी अहम होगी ।वहीं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2013 में बीआरआई को दुनिया के सामने पेश किया था। बीआरआई के जरिए चीन मलेशिया से होते हुए मिडल ईस्ट और फिर यूरोप तक पहुंचाना चाहता है।इतना ही नहीं वह जलमार्गों के जरिए दक्षिण पूर्व एशिया से मिडल ईस्ट और फिर वहां से अफ्रीका तक अपना सामान पहुंचाना जाता है।