न्यूज़ डेस्क
महाराष्ट्र की शिंदे सरकार का क्या होगा यह कोई नहीं जानता। अभी तक तो शिंदे की सरकार चल ही रही है। लेकिन शिंदे गुट के बीच हलचल है। दस जनवरी को महाराष्ट्र विधान सभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर को शिंदे गुट की अयोग्यता पर फैसला सुनाना है। क्या फैसला होगा इसका सभी को इंतजार है। यह बात और है कि विधान सभा स्पीकर जो बीजेपी के हैं ,वे नहीं चाहते थे कि शिंदे गुट पर कोई फैसला सुनाये। या चाहते भी होंगे तो यही चाहत थी कि अयोग्यता के मामले को ही लीपा पोती कर दिया जाए और शिंदे की सरकार चलती रहे।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट का डंडा भी तो खड़ा है। शीर्ष अदालत ने दस जनवरी तक फैसला सुनाने को कह दिया है। अगर विधान सभा अध्यक्ष दस तारीख को फैसला नहीं सुनाते हैं तो शीर्ष अदालत फिर फैसला सूना देगी। फैसला क्या होना है यह सब जानते हैं। ज्यादा सम्भावना इस बात की है कि शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराया जा सकता है। इस सूची में खुद सीएम शिंदे का भी नाम है।
अयोग्यता की तलवार शिंदे गुट पर गिरी तो महाराष्ट्र सरकार का क्या होगा यह देखने की बात होगी। लेकिन बुधवार को जहाँ शिंदे गुट पर फैसला आना है उससे पहले ही आज शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। उद्धव गुट ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और स्पीकर राहुल नार्वेकर की मुलाकात पर आपत्ति जताई है। हलफनामे में कहा गया है कि विधायकों की अयोग्यता पर फैसला देने से पहले स्पीकर का सीएम से मिलना गलत है। बता दें कि 7 जनवरी को स्पीकर और सीएम की मुलाकात हुई थी। शिंदे समर्थक विधायकों की अयोग्यता पर बुधवार, 10 जनवरी को स्पीकर का फैसला आना है।
एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कई अन्य विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर अपना फैसला 10 जनवरी को सुनाएंगे। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विधायकों की बगावत के चलते जून 2022 में शिवसेना दो गुटों में बंट गई थी। इसी के साथ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार गिर गई थी। इसके बाद शिंदे और ठाकरे गुटों की तरफ से दलबदल रोधी कानूनों के तहत एक दूसरे के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की गई।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाने की समय-सीमा 31 दिसंबर, 2023 तय की थी, लेकिन उससे कुछ दिन पहले 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अवधि को 10 दिन बढ़ाकर फैसला सुनाने के लिए 10 जनवरी की नई तारीख तय की।