राज्यसभा सभापति जगदीश धनखड़ ने बुधवार को आरएसएस पर टिप्पणी करने पर कड़ी आपत्ति जताई ।राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान उन्होंने कहा कि यह राष्ट्र की सेवा में लगा संगठन है और संगठन से जुड़े लोग निस्वार्थ भाव से काम करते हैं ।उन्होंने कहा कि देश के काम में लगे संगठन की आलोचना करना संविधान के खिलाफ है और उसे देश की विकास यात्रा का हिस्सा बनने का अधिकार है। इस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उन्हें टोकने की कोशिश भी की।इस हंगामे के बाद बीएसपी और बीजेडी सहित विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
दरअसल सभापति जगदीप धनखड़ समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी सुमन द्वारा एनडीए अध्यक्ष की नियुक्ति पर की गई टिप्पणी से नाराज थे ।उन्होंने सांसद के एनटीए अध्यक्ष के आरएसएस से जुड़े होने की टिप्पणी पर नाराजगी जताई ।साथ ही उन्होंने कहा कि वे इस टिप्पणी को संसद के रिकॉर्ड पर नहीं आने देंगे ।सभापति ने आगे कहा कि आरएसएस की साख बेदाग है।उन्होंने कहा कि वे किसी को भी आरएसएस को अलग-अलग करने की साजिश नहीं करने देंगे ।
वहीं विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने जगदीश धनखड़ की टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब तक किसी सासंद ने संसदीय कार्यवाही के नियमों का उल्लंघन नहीं किया है, तब तक अध्यक्ष किसी सदस्य पर आपत्ति नहीं जता सकते हैं। खड़गे के सवाल का जवाब देते हुए सभापति ने कहा कि मैं मानता हूं कि जब कोई उल्लंघन होता है तो मैं बीच में बोल सकता हूं ,लेकिन यहां सांसद भारत के संविधान के खिलाफ बोल रहे हैं। मैं संगठन को अलग-अलग करने की इजाजत नहीं दूंगा।यह संविधान का उल्लंघन है। आरएसएस को इस देश की विकास यात्रा में भाग लेने का पूरा संवैधानिक अधिकार है।