ट्रंप प्रशासन स्वास्थ्य से जुड़े आंकड़ों के आधार पर पुरानी नीतियों में आमूल – चूल परिवर्तन लाते हुए अमेरिका में हर आयु वर्ग के नागरिकों के लिए कोविड के वैक्सीन के व्यवहार को स्थगित कर सकती है। स्वास्थ्य के मामले में उच्च पदस्थ अधिकारियों ने विभिन्न आंकड़े प्रस्तुत किए हैं, जिसमें कोविड के वैक्सीन के उपयोग की वजह से बड़े पैमाने पर साईड इफेक्ट ,यहां तक कि मौत होने के मामले होने की बात सामने आ रही है।
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ (NIH) को नेतृत्व देने के लिए नामित डॉक्टर जे भट्टाचार्य ने एक याचिका दायर की है,जिसमें मैसेंजर आरएनए (mRNA)वैक्सीन के उपयोग पर तत्काल रोक लगाकर इसके दुष्प्रभावों की जांच करवाने की मांग की गई है।उन्होंने इससे संबंधित तथ्यों को daily mel.com पर उजागर किया है । वे विश्व स्तर पर मैसेंजर आरएनए आधारित वैक्सीन और इससे विश्व स्तर पर तेजी से हो रहे मृत्यु के बीच के संबंधों पर काम करने वाले संस्थान होप एकॉर्ड के भी अधोहस्ताक्षरी हैं।
Dailymail.com पर रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर ने भी निजी तौर पर वैक्सीन के उपयोग और उसके दुष्प्रभाव को लेकर एक डाटा साझा किया है।
कैनेडी के नए स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले एक ब्रिटिश हृदय रोग चिकित्सक डॉक्टर असीम मल्होत्रा ने भी वैक्सीन के उपयोग पर गंभीर चिंता जाहिर करते हुए इसके उपयोग पर तत्काल रोक लगाकर इसके प्रभावों का पुनर्मूल्यांकन करने का सुझाव दिया है।
स्वास्थ्य से जुड़ी एजेंसियों के अलावा एफबीआई के निदेशक के पद पर नामित कास पटेल ने भी उपयोग में लिए जाने वाले कोविड वैक्सीन से होने वाली क्षति के पुनर्मूल्यांकन की बात कही है।
डॉक्टर भट्टाचार्य के द्वारा हस्ताक्षरित होप एकॉर्ड में दावा किया गया है कि मैसेंजर आरएनए और पूरी दुनिया में तेजी से होने वाले मृत्यु के बीच में अन्योनाश्रय संबंध है।
कोविड के समय और उसके बाद के पेंडेमिक के दौरान यूनाइटेड स्टेट में सामान्य से सैकडो हजार ज्यादा लोगों की मौत हुई।
इनके अलावा और कई विशेषज्ञों ने यह बताया कि इन दिनों तेजी से हो रही मौत जो कैंसर, हृदय रोग, लॉकडाउन के समय कोविड की वजह से अपरीक्षित रह गई बीमारियों की वजह से हो रही है, उसमें मैसेंजर आरएनए वैक्सीन का एक महत्वपूर्ण भूमिका है।
कैनेडी प्रेसिडेंशियल में कम्युनिकेशन डायरेक्टर के पद पर रहे डेल बिगट्री ने पूर्व में ही यह सुझाव दिया था कि कोविड वैक्सीन बहुत सारे मृत्यु का कारण बना है और कई लोगों को यह संक्रमण प्रवण बना दे रहा है।
उन्होंने गत वर्ष जनवरी में एक खुले पत्र में यह लिखा था कि परीक्षण के तौर पर प्रयोग किया जा रहे इस कोविड वैक्सीन ने लोगों की मौत का एक रिकॉर्ड बना दिया और देश को बाजार व्यवस्था के आगे धकेल दिया गया। करीब 4 वर्षों के बीत जाने के बावजूद अभी भी सबसे ज्यादा मृत्यु दर बना हुआ है। बच्चों में हृदय की बीमारी एक सामान्य घटना बन चुकी है। उन्होंने बात को आगे बढ़ते हुए कहा कि इस वैक्सीन ने अपने नकारात्मक प्रभाव को सत्यापित कर दिया है लोग ज्यादा से ज्यादा संक्रमण प्रवण हो गए और कुछ भी कर पाने में असहाय हो गए।