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वैक्सीन माफिया अदार पूनावाला और सीरम इंस्टिट्यूट पर अवेकन इंडिया के सदस्य प्रकाश पोहरे द्वारा दायर मानहानि मामले में दायर याचिका पर कोर्ट ने अभियोजन के दिए आदेश

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अवेकेन इंडिया मूवमेंट पूरे देश भर में फैला हुआ एक प्रख्यात एनजीओ है ,जो लोगों को उनकी जरूरत से जुड़ी विभिन्न प्रकार की सूचनाएं प्रदान करता है।अवेकेन इंडिया मूवमेंट लॉकडाउन के समय से ही वैक्सीन माफियाओं के द्वारा चलाए जा रहे फ्रॉड को लेकर एक अभियान चला रहा था।

अवेकेन इंडिया मूवमेंट के प्रयासों से 80% भारतीयों ने कोविशील्ड जैसे कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज को लेने से इनकार कर दिया था। इससे देश के लोगों करोड़ों लोगों की जिंदगी बची।इसके बाद कोरोना का कोई लहर भी देश में नहीं आया।इससे वैक्सीन माफियाओं को करोड़ों का नुकसान हुआ।

अदार पूनावाला और सीरम इंस्टिट्यूट ने अवेकेन इंडिया मूवमेंट और इसके सदस्यों को परेशान करने के लिए एक षड्यंत्र के तहत एक असत्य शिकायत हड़सर पुलिस स्टेशन पुणे में 2022 के अक्टूबर महीने में दर्ज कराया।हालांकि पुलिस ने इसे तुच्छ मानते हुए इसपर कार्यवाही करने से इनकार कर दिया।

पुलिस द्वारा शिकायत पत्र पर कार्रवाई न करने के बावजूद भी अदार पूनावाला और सीरम इंस्टीट्यूट ने अवेकेन इंडिया मूवमेंट और उसके सदस्यों को अपमानित करने वाले कई शिकायतें विभिन्न फोरम में दर्ज करवाया ।इसलिए अवेकेन इंडिया मूवमेंट के वरीय सदस्य और दैनिक मराठी समाचार पत्र देशोन्नति के मुख्य संपादक प्रकाश पोहरे ने नागपुर कोर्ट में 10,000 करोड रुपए की क्षतिपूर्ति वाला एक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया।

नागपुर कोर्ट ने मामले को संज्ञान में लेते हुए अदार पूनावाला,साइप्रस पपूनावालाइडियावाला और सीरम इंस्टिट्यूट पर एक कारण पृच्छा नोटिस दिया।

इस नोटिस पर प्रतिवादी अदार पूनावाला, साइप्रस पूनावाला और सिरम इंस्टीट्यूट ने एक जवाबी शपथ पत्र कोर्ट में दायर करते हुए इस मामले का विरोध किया।

अदार पूनावाला, साइप्रस पूनावाला और सिरम इंस्टीट्यूट के द्वारा डायल जवाबी हलफनामा प्रथम दृष्टया गलत साबित होने पर प्रकाश पोहरे ने सीपीसी के धारा 340 के अंतर्गत अदार पूनावाला , साइप्रस पूनावाला और सीरम इंस्टिट्यूट पर कार्रवाई करने का आवेदन दिया।

पीड़ित प्रकाश पोहरे के वकील श्री निलेश ओझा ने विभिन्न हियरिंग के दौरान जो साक्ष्य प्रस्तुत किया उससे कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अदार पूनावाला और सीरम इंस्टिट्यूट के द्वारा दाखिल शपथ पत्र प्रथम दृष्टया गलत है और वे लोग कोर्ट के साथ फ्रॉड करने के दोषी हैं।

इसके बाद कोर्ट ने आवेदनकर्ता को सही मानते हुए कोर्ट सुपरिंटेंडेंट को अदार पूनावाला, साइप्रस पूनावाला और सीरम इंस्टिट्यूट के विरुद्ध सीजेएम के न्यायालय में मामला दर्ज करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने अपने अपने आदेश में माना कि पीड़ित प्रकाश पोहरे ने यह सिद्ध कर दिया कि अभियुक्त अदार पूनावाला, साइप्रस पूनावाला और सिरम इस वैक्सीन की वजह से बड़े पैमाने पर लोगों की हो रही मौत और इसके अन्य दुष्प्रभावों को छुपाने का दोषी हैं।गौरतलब है कि कोविशील्ड वैक्सीन यूरोप के विभिन्न देशों में इसलिए प्रतिबंधित था क्योंकि इससे मौत और दूसरे साइड इफेक्ट हो रहे थे।

क्योंकि अदार पूनावाला साइप्रस पूनावाला और सीरम इंस्टिट्यूट के द्वारा अपने बचाव में न्यायालय में दिए गए तथ्य गलत सिद्ध हुए।इसलिए मुंबई हाई कोर्ट अब प्रकाश पोहरे के पक्ष में सीधे-सीधे फैसला सुन सकता है और अगर आदार पूनावाला और सीरम इंस्टिट्यूट इस आदेश को चुनौती देगा तो उसे 5000 करोड़ रूपये न्यायालय में जमा करना होगा।

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