न्यूज़ डेस्क
यह बात और है कि देश के भीतर इस समय कई तरह की ीामृते बन रही है। जिनमे कुछ की डिजाइन अद्भुत है तो कुछ इमारतों की ऊंचाई काफी ज्यादा है। बहुत से बिल्डिंग कई वजहों के लिए मशहूर भी हैं। लेकिन बंगलौर में एक ऐसे स्काइडेक ईमारत की तैयारी की जा रही है जिसकी ऊंचाई 250 की होगी। कहा गया है कि ट्रैफिक जाम से निजात पाने के लिए बंगलौर में इस तरह की ईमारत तैयार की जा रही है। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने इसकी परियोजना पर चर्चा के बाद बेंगलूरु में 8-10 एकड़ भूमि की पहचान करने के निर्देश दे दिए हैं। स्काईडेक की डिजाइन ऑस्ट्रिया की फर्म कोप हिमेल्ब एयू ने तैयार की है।
इस फर्म को विश्व डिजाइन संगठन के सहयोग से फ्रांस में म्यूसी डेस कॉन्फ्लुएंसेस और जर्मनी में यूरोपीय सेंट्रल बैंक जैसे निर्माण के लिए जाना जाता है। स्काईडेक का डिजाइन विशाल राजसी बरगद की तरह बनाया गया है। इसमें बरगद की लटकती शाखाएं, जड़ें और खिलते फूल प्राकृतिक विकास से प्रेरित हैं। बेस, ट्रंक और ब्लॉसम स्काईडेक के तीन मुख्य भाग होंगे। बेस पर शहर के इतिहास को दर्शाया जाएगा। ट्रंक बरगद के पेड़ के विकास का प्रतीक होगा। खिले हुए फूल जैसा सबसे ऊपरी भाग प्रकाशस्तंभ जैसा होगा।
स्काईडेक के टॉप पर विंग कैचर होगा। यह हवा की दिशा में घूमेगा। रोलर-कोस्टर डेक पर सौर पैनल बिजली पैदा करेंगे। इसके बेस में शॉपिंग पैसेज, रेस्तरां, थिएटर और स्काई गार्डन जैसी सुविधाएं होंगी। शीर्ष भाग में प्रदर्शनी हॉल, स्काई लॉबी और बार के साथ वीआइपी परिसर होगा। स्काईडेक पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के साथ बेंगलूरु की ट्रैफिक जाम की समस्या के हल में मददगार होगा।
देश की आइटी राजधानी के तौर पर मशहूर बेंगलूरु में पहले से कई गगनचुंबी इमारते हैं। इनमें सीएनटीसी प्रेसिडेंशियल टावर सबसे ऊंचा (161 मीटर) है। यह रिहायशी इमारत 50 मंजिला है। दूसरी ऊंची इमारतों में मंत्री डीएसके पिनेकल (153 मीटर), एसएनएन क्लेरमोंट (135 मीटर), पशमीना वाटरफ्रंट टावर (130 मीटर), इंद्रप्रस्थ (130 मीटर), वल्र्ड ट्रेड सेंटर (128 मीटर) और यूबी टावर (123 मीटर) शामिल हैं। अब कहा जा रहा है कि स्काइडेक के तैयार होने से बंगलौर की पहचान अलग तरीके से भी की जा सकती है। सरकार ने कहा है कि बंगलौर चुकी आईटी का गढ़ है इसलिए यहाँ लोगों की भीड़ ज्यादा है। ट्रैफिक की बढ़ी समस्या है। पहली बात तो यही है कि मिलने के के भवन निर्माण की बात की गई है ताकि कम जगह में अधिक दफ्तरों को जगह मिल सके।

