विकास कुमार
एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे की तकरार अब एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। सीएम एकनाथ शिंदे ने मुंबई नगर निगम में घोटाले की जांच के लिए एसआईटी के गठन को मंजूरी दे दी है। दरअसल कैग ने बीएमसी में बारह हजार चौबीस करोड़ रुपए की अनियमितता होने का अनुमान जाहिर किया था। अब इस अनियमितता की जांच करने की जिम्मेदारी शिंदे सरकार ने एसआईटी को सौंप दिया है।
वहीं इस एसआईटी का नेतृत्व मुंबई पुलिस आयुक्त करेंगे। भारत का सबसे अमीर नगर निकाय वर्तमान में एक प्रशासक के अधीन है।और इसके पार्षदों का कार्यकाल पिछले साल की शुरुआत में खत्म हो गया था। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के शीर्ष अधिकारियों को भी जांच में शामिल करने का निर्देश दिया है। नगर निगम ने नवंबर 2019 से जून 2022 के दौरान कई काम करवाए हैं। इस अवधि में कोविड-19 महामारी के दौरान किए गए काम भी शामिल हैं।
बीजेपी विधायक अमित साटम ने सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर बीएमसी में गड़बड़ी का दावा करते हुए शिंदे को एक चिट्ठी लिखी थी। साटम ने चिट्ठी में सीएजी रिपोर्ट द्वारा चिह्नित ‘अनियमितताओं’ की एसआईटी जांच की मांग की थी। शिंदे सरकार ने साटम की मांग को मान लिया है। हालांकि सीएम एकनाथ शिंदे के इस फैसले पर अभी तक उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। इस फैसले के बाद ठाकरे परिवार पर दबाव बढ़ सकता है। इसलिए राजनीतिक हथियार के तौर पर शिंदे सरकार इसका इस्तेमाल कर रही है।