देहरादून: पुष्कर सिंह धामी मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक लाने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। विधेयक पास होने के बाद जबरन धर्मांतरण संज्ञेय अपराध हो जाएगां धर्मांतरण साबित होने पर दोषियों को अधिकतम 10 साल तक की सजा का प्रावधान होगा।
In the cabinet meeting, strict amendments were made in the conversion law in Uttarakhand. Forced conversion will now be a cognizable offence in Uttarakhand. Provision of 10 years of punishment in the new law. Forced conversion and love jihad will be banned.
— ANI (@ANI) November 16, 2022
कैबिनेट बैठक में 26 में से 25 प्रस्तावों को दी गयी मंजूरी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को देहरादून में आयोजित कैबिनेट बैठक में 26 प्रस्ताव लाए गए, जिनमें से 25 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। सरकार ने मार्च, 2018 में त्रिवेंद्र रावत सरकार के पास करवाएउ धर्मांतरण एैक्ट में संशोधन करते हुए इसे और कड़ा करने का फैसला ले लिया हे। इसे अब यूपी से भी ज्यादा कड़ा किया जा रहा है। 29 नवंबर से शुय होने जा रहे विधानसभा सत्र में विधेयक पेश किया जाएगा।
तीन से दस साल तक होगी धर्मांतरण के दोषियों की सजा
सूत्रों ने बताया कि पहले ऐक्ट में आरोपियों को तत्काल जमानत का प्रावधान था, जिसे अब गैर जमानती (संज्ञेय अपराध) कर दिया जाएगा। एकल धर्मांतरण में अब दो से सात साल जबकि सामूहिक धर्मांतरण पर तीन से 10 साल की सजा होगी। यूपी में एकल धर्मांतरण पर पांच साल तक की सजा है। इसी तरह जुर्माना की राशि अब क्रमश: 25 हजार और 50 हजार किया है। अदालत में ऐसे आरोपियों के दोषी पाए जाने पर अब पीड़ित को पांच लाख रुपए तक की क्षतिपूर्ति भी देनी होगी।
मसूरी में होगी अगली कैबिनेट
धामी सरकार की अगली कैबिनेट बैठक मसूरी में हो सकती है। सरकार ने 21 नबंबर से तीन दिवसीय चिंतन शिविर मसूरी में आायोजित किया है, जिसमें राज्य में राजस्व स्त्रोत बढ़ाने और महत्वाकांक्षी योजनाओं पर मंथन किया जाना है।