बीरेंद्र कुमार झा
कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में बीजेपी से मुकाबले के लिए जातीय जनगणना के नाम पर एक हथियार मिलता दिख रहा है।इसी को धार देने के लिए पार्टी ने अब कार्य समिति की बैठक बुलाने का फैसला लिया है। अगले सप्ताह यह मीटिंग होगी और उसमें जाति जनगणना के मुद्दे पर कैसे आगे बढ़ा जाए इस पर चर्चा होगी। पार्टी नेताओं के मुताबिक हाईकमान को लगता है कि यह मसला उसे कई राज्यों में उत्तर से दक्षिण तक लोकसभा इलेक्शन में संजीवनी प्रदान कर सकता है।राहुल गांधी तो लगातार उसकी मांग कर ही रहे हैं कि देशभर में जाति जनगणना हो ताकि कमजोर तबके के लिए योजनाएं बनाई जा सके जिससे उन्हें फायदा हो।
जातिगत संख्या के आधार पर आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने पर भी कांग्रेस ले सकती है निर्णय
माना जा रहा है कि मीटिंग में कांग्रेस इसे लेकर कुछ प्रस्ताव भी पारित कर सकती है। इसमें से एक प्रस्ताव यह भी हो सकता है की आबादी के अनुपात में आरक्षण पर विचार किया जाए। इसके अलावा महिलाओं को लोकसभा विधानसभा चुनाव में मिलने वाली 33 % आरक्षण में भी ओबीसी कोटा अलग से रखा जाए। कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे भी इसे लेकर खासे उत्साहित हैं और देशभर जातीय गणना चाहते हैं।भले ही यूपी और बिहार में कांग्रेस को इसका लाभ न मिले और यहां इसका फायदा एसपी, आरजेडी और जेडीयू जैसे क्षेत्रीय दलों को मिल जाए ,लेकिन कांग्रेस को भी छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश कर्नाटक और आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों में इसका फायदा मिलेगा।
कर्नाटक में नुकसान की भी है संभवना
कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के बाद कर्नाटक में जातीय सर्वे के आंकड़े जारी किये जा सकते हैं।अब तक कई राज्यों में ऐसी मांग उठ चुकी है। कांग्रेस पर खुद दबाव है कि वह कर्नाटक के आंकड़े जारी करें। 2015 में ही सिद्धारमैया की पहले वाली सरकार ने एक समिति का गठन किया था और उसे जातीय गणना का काम सोपा गया था।इसके लिए 170 करोड रुपए का बजट भी तय हुआ था।अब तक यह आंकड़ा जारी नहीं हुआ है। बीजेपी समेत कई दल इसे जारी करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि कर्नाटक में कांग्रेस के लिएग्रह जातीय जनगणना परेशानी का सबब भी बन सकता है। इसकी बड़ी वजह यह है कि आमतौर पर बीजेपी के साथ जाने वाली लिंगायतों की आबादी वहां काफी अधिक है और वह कांग्रेस से नाराज भी चल रहे हैं।
कर्नाटक से पहल करेगी कांग्रेस
कांग्रेस के सीनियर नेता बीके हरिप्रसाद भी यह मांग कर चुके हैं कि बिहार की दर्ज पर ही कर्नाटक में जातीय जनगणना के आंकड़े जारी किए जाएं।उनका कहना है की जातीगत सर्वे की मांग लंबे समय से हो रही है और इससे उन जातियों के लिए योजनाओं को तैयार करने में मदद मिलेगी, जिन्हें वास्तव में मदद की दरकार है। अब जब राहुल गांधी भी इसके पक्षधर हो गए हैं तो उम्मीद की जा रही है कि कांग्रेस कर्नाटक से इसकी शुरुआत कर सकती है।यही नहीं कांग्रेस छत्तीसगढ़, राजस्थानऔर मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में इसे चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल कर सकती है।