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दक्षिण भारत को साधने में जुटी है कांग्रेस ,सोनिया गाँधी भी लड़ सकती है तेलंगाना से चुनाव !

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अखिलेश अखिल
खबर तो यह भी आ रही है कि अगर सोनिया गाँधी इस बार चुनाव लड़ती है तो वह रायबरेली से नहीं लड़ेगी। उनका ठिकाना तेलंगाना होगा। अब इस बात में कितनी सच्चाई है इसकी पुष्टि तो नहीं ज सकती है लेकिन तेलंगाना कांग्रेस की चाहत है कि गाँधी परिवार के तीन बड़े नेता सोनिया राहुल  और प्रियंका तेलंगना से ही चुनाव लाडे। पार्टी के लोग और खुद मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी भी यही चाहते हैं कि गाँधी परिवार यही से चुनाव लड़े। हालांकि अभी तक किसी भी नेता ने इस बात का ऐलान नहीं किया है।      

लेकिन जिस तरह से देश की हिंदी पट्टी में बीजेपी का दखल बढ़ता गया है और इसके बाद क्षेत्रीय दलों का दबदबा है उससे तो यही लगता है कि कांग्रेस के लिए अभी फ़िलहाल उत्तर भारत में कोई बड़ी गुंजाइस नहीं है। वह चाहकर भी कोई बड़ा उलटडेर करने की हलात में नहीं है। कांग्रेस की कोशिश जरूर है किउत्तरा भारत में उसका संगठन मजबूत हो और सभी राज्यों में उसकी उपस्थिति भी रहे लेकिन चुनावी  खेल क्या होगा यह कोई नहीं जानता।  

 ऐसे म कांग्रेस को दक्षिण भारत से काफी उम्मीद बढ़ गई है। लोकसभा चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस की रणनीति धीरे-धीरे सामने आ रही है। हिंदी पट्टी राज्यों में भाजपा की मजबूती को देखते हुए कांग्रेस दक्षिण व नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में अधिक से अधिक सीटें जीतने के लिए जोर लगा रही है। कांग्रेस दक्षिण में 129 और उत्तर-पूर्व में 25 सीटों को लेकर स्पेशल प्लान बना रही है। कांग्रेस के धुरंधर नेता इस रणनीति के तहत सक्रिय हो रहे हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इस बार राज्यों के बड़े मुद्दों को भी उठाती दिखेगी।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के तेलंगाना से चुनाव में उतरने का बयान देकर रणनीति का खुलासा भी कर दिया है।कांग्रेस का प्लान एक-एक सीट बटोरकर अपनी संख्या बढ़ाना है। पार्टी एक-दो सीटों वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर फोकस कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हर राज्य में जाकर कार्यकर्ताओं से मिलना शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा से कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश में जुटे हुए हैं। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि भाजपा को चुनाव में टक्कर देने के लिए दक्षिण व उत्तर पूर्व के साथ केंद्र शासित प्रदेशों की करीब 154 सीटों में से कांग्रेस और गठबंधन को करीब 100 से 120 सीटें जीतनी होगी।

राहुल ने उत्तर-पूर्व में स्थानीय भाषा, संस्कृति पर हमला करने के साथ वर्षों से लंबित उत्तर-पूर्व राज्यों के कई समझौतों को मुद्दा बनाकर अपना एजेंडा सेट कर दिया है। मणिपुर में हिंसा और असम में मुख्यमंत्री हिमंता विश्व सरमा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। आंध्र प्रदेश में दस साल से लंबित आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 के तहत विशेष राज्य का दर्जा देने का मुद्दा उठाया जा रहा है।

कांग्रेस का दक्षिण में तमिलनाडु व केरल मजबूत गढ़ है। इन दोनों राज्यों में कांग्रेस ने सहयोगी दलों के साथ 2019 में अच्छा प्रदर्शन किया था। इस बार इसे दोहराने के साथ कर्नाटक, तेलंगाना व आंध्र प्रदेश में अच्छी संख्या में सीटें लेने की रणनीति बन रही है। तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी के बयान के बाद माना जा रहा है कि सोनिया गांधी को तेलंगाना की ऐसे लोकसभा क्षेत्र से चुनाव में उतारा जा सकता है, जहां से तेलंगाना के साथ कर्नाटक व आंध्र प्रदेश की ज्यादा से ज्यादा सीटों को साधा जा सकें।

पार्टी ने 25 सीटों वाले आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के सामने उनकी बहन शर्मिला वायएसआर रेड्डी को खड़ा कर दिया है। शर्मिला ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी से मुलाकात कर गठबंधन के रास्ते खोल दिए हैं। इंडिया गठबंधन में शामिल वामपंथी दल और कांग्रेस केरल में एक दूसरे के सामने दोस्ताना चुनाव लड़ते दिखेंगे। कर्नाटक में पार्टी अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी में है।

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