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क्या जांच एजेंसियां भ्रष्टाचार से मुक्त हैं ? जिस तरह से राजस्थान में ईडी के दो अधिकारी एक चिट फंड कंपनी से 15 लाख घूस लेते पकड़ी गई है उसके बाद यह सवाल खड़ा होगा है कि जांच एजेंसियां सरकार के शह पर उगाही का धंधा भी कर रही हैं। हालांकि राजस्थान कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी देश की कई जांच एजेंसियों पर घूस मांगने और लेने की कहानी सामने आ गई है। जानकार तो यह भी कह रहे हैं कि जब सरकार मनमाने तरीके से किसी की जांच करवा रही है तो जांच एजेंसिया भी बहती गंगा में हाथ में धोने से बाज नहीं आ रही है। लेकिन अगर इस तरह के खेल चल रहे हैं तो जांच एजेंसियों पर फिर कौन यकीन करेगा ?
आज इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी को घेरा है। प्रवर्तन निदेशालय के एक अधिकारी को राजस्थान एसीबी द्वारा 15 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किए जाने के एक दिन बाद कांग्रेस ने आज बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्रीय एजेंसियां उसकी फ्रंटलाइन श्रमिक नहीं हैं। उनकी स्वायत्तता बरकरार रखी जानी चाहिए।
दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी केवल विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई करती है और ईडी के एक अधिकारी को उसके सहयोगी के साथ 15 लाख रुपये का रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था।”
उन्होंने कहा कि ईडी अधिकारी नवल किशोर मीना और उनके सहयोगी बाबूलाल मीना को गिरफ्तार कर लिया गया। अगर इन दोनों जैसे छोटे अधिकारी 15 लाख रुपये की रिश्वत ले रहे थे, तो वरिष्ठ अधिकारियों की रेट लिस्ट की कल्पना की जा सकती है। उन्होंने कहा, ”हम राजनीतिक दल स्टार प्रचारकों की सूची जारी करते हैं और बीजेपी के प्रचारकों की सूची सीबीआई, ईडी और आईटी विभाग जारी करते हैं।”
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव से पहले केंद्रीय एजेंसियों को एक सूची मिलती है और यह एक टूलकिट की तरह होती है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस चाहती है कि एजेंसियां निष्पक्ष, तटस्थ, निडर और स्वायत्त हों। सरकार को उन्हें मजबूत करना चाहिए न कि कमजोर करना चाहिए।”
उन्होंने जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का जिक्र करते हुए कहा, “बीजेपी को समझना चाहिए कि वे आपके अग्रिम पंक्ति के योद्धा नहीं हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि 95 फीसदी मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ हैं। उन्होंने बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए कहा, “हम सुवेंदु अधिकारी और अन्य जैसे बीजेपी नेताओं का पता और संपर्क नंबर साझा करेंगे। ईडी में यह चयनात्मक स्मृति हानि क्यों है।”