वीरेंद्र कुमार झा : आज 31 दिसंबर इंडिया गठबंधन के दिल्ली बैठक के निर्णय के अनुसार सीट बंटवारे का अंतिम दिन है। इस बीच महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन में शामिल घटक दलों के बीच सीट बंटवारे पर टकराहट बढ़ती चली जा रही है। शिवसेना ने पहले ही 23 लोकसभा सीटों पर अपना दावा ठोक दिया है।इस संदर्भ में शिव सेना ने कहा था कि कांग्रेस को महाराष्ट्र में जीरो से शुरुआत करनी होगी। इसके बाद कांग्रेस की बारी आई। देश की सबसे पुरानी पार्टी ने भी महाराष्ट्र की 22 सीटों पर अपनी तैयारी शुरू कर दी। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राज्य के शीर्ष नेताओं के बीच हुए एक बैठक के बाद महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस ने भी 22 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी शुरू कर दी है।
शिव सेना के 23 सीटों पर दावा का पक्ष
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत सार्वजनिक रूप से लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर इंडिया गठबंधन में अपनी पार्टी के लिए सीट बंटवारे में 23 सीटों पर अपना दावा ठोक दिया है। इसके पीछे शिवसेना का दो प्रमुख तर्क है। एक तो यह कि वह इस समय महाराष्ट्र की राजनीति में विपक्षी गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में है तो उसे गठबंधन में बड़ा शेयर मिलना चाहिए।वहीं शिवसेना का दूसरा तर्क यह है कि अगर 2019 के आम चुनाव में गठबंधन के घटक दलों के चुनाव जितने की क्षमता को देखा जाए तो 2919 के लोक सभा चुनाव में कांग्रेस ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन इसे जीत सिर्फ एक सीटों पर मिली थी, वहीं एनसीपी ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सिर्फ चार सीटों पर ही वह जीत हासिल कर सकी थी। इसके विपरित शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 सीटों पर इसने जीत हासिल कर की थी। इस प्रकार इन दोनों ही तर्कों के आधार पर शिव सेना का कम से कम 23 सीटों पर तो दावा बनता ही है।
22 सीटों पर उम्मीदवारी को लेकर कांग्रेस का पक्ष
इंडिया गठबंधन इंडिया गठबंधन में शिवसेना के 23 सीटों के दावे के ही तरह कांग्रेस के भी आगामी लोकसभा चुनाव में 22 लोक सभा सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी के चुनाव लड़ने को लेकर अपने तर्क है। पार्टी सूत्रों की माने तो महाराष्ट्र में खड़गे के साथ भी बैठक में कुछ कांग्रेसी नेताओं ने सुझाव दिया कि कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में राज्य की 30 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए, जबकि कुछ शीर्ष नेताओं ने यह सुझाव दिया की पार्टी को कम से कम 22 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए जहां इसके जितने की सबसे ज्यादा संभावना है। वहीं कांग्रेस नेताओं का यह भी मानना है कि विभाजन के बाद एनसीपी के शरद पवार अच्छा और शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के पास अपने नियंत्रण वाली पारंपरिक चुनाव चिन्ह नहीं है।वहीं विपक्षी गठबंधन इंडिया में सिर्फ कांग्रेस ही वहां एक ऐसी पार्टी है जिसका अपने चुनाव चिन्ह पर पूरा नियंत्रण है। ऐसे में अगर शिव सेना (यूबीटी) या एनसीपी (पवार) नए चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ती है ,तो बहुत संभव है कि इनके पारंपरिक मतदाता भी भ्रमवश पुराने चुनाव पर मतदान कर दे या फिर इनके चुनाव चिन्ह की जगह अन्य चुनाव चिन्ह पर मतदान कर दे।ऐसे में अगर कांग्रेस ज्यादा सीटों पर चुनाव नहीं लड़ती है तो इसका खामियाजा इंडिया गठबंधन को उठाना पड़ सकता है।
महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन के घटक दल कांग्रेस और शिवसेना के सीट बंटवारे को लेकर इस दावे को लेकर अगर विचार किया जाए ,तो 23 और 22 कुल मिलाकर 45 सीटों पर सिर्फ इन दो ही दलों शिव सेना ( यूबीटी) और कांग्रेस का कब्जा। हो जायेगा और तब सिर्फ तीन ही सीट एनसीपी पवार गुट के लिए बचेगी,जिसे शरद पावर शायद ही स्वीकार करें। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि अब आगे सीट बंटवारे के अंतिम दिन की समाप्ति के बाद वहां क्या स्थिति बनती है।