बीरेंद्र कुमार झा
कांग्रेस ने मुंबई के धारावी क्षेत्र के पुनर्विकास की परियोजनाओं को लेकर मंगलवार को सवाल किया कि क्या अडानी समूह को फायदा पहुंचाने के लिए इसकी निविदा के नियम एवं शर्तों में बदलाव किया गया? पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि नियम एवं शर्तों में बदलाव के कारण पहले सफल बोली लगाने वाली कंपनी की प्रक्रिया से बाहर हो गई और निविदा अडानी समूह को मिल गई।
सफल बोली लगाने वाली कंपनी बोली की प्रक्रिया से पहले ही हो गई बाहर
जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि जब 2018 के नवंबर महीने में निविदा जारी की थी तब दुबई स्थित सेंकलिंक टेक्नोलॉजी कारपोरेशन ने अपनी प्रतिस्पर्धा करने वाली कंपनी अडानी इन्फ्राट्रक्चर को पीछे छोड़ते हुए 7,200 करोड रुपए की सबसे अधिक बोली लगाई थी। रेलवे से संबंधित भूमि के हस्तांतरण से संबंधित मुद्दों के कारण उस निविदा को 2020 के नवंबर महीने में रद्द कर दिया गया। उन्होंने दावा किया कि फिर नई शर्तों के साथ एक नई निविदा 2022 के अक्टूबर में महाराष्ट्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा जारी की गई। अडानी समूह ने इस टेंडर को ₹5069 करोड़ की बोली लगाकर जीत लिया जो पहले की बोली से 2131 करोड़ रुपए कम है।
निविदा के नियमों और शर्तों में हुए बदलाव
जयराम रमेश ने कहा नियमों एवं शर्तों में जो बदलाव हुए उसके कारण से सेकलिंक को फिर से बोली लगाने का मौका नहीं मिला। साथ ही बोली लगाने वालों की कुल संपत्ति ₹10,000 करोड़ से बढ़ाकर ₹20,000 करोड़ कर दी गई, जिससे बोली लगाने वालों की संख्या सीमित हो गई।
कांग्रेस का प्रधानमंत्री पर हमला
जयराम रमेश ने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी समर्थित महाराष्ट्र सरकार को निविदा के नियम एवं शर्तों को बदलने के लिए मजबूर किया, ताकि मूल विजेता को बाहर किया जा सके और एक बार फिर अपने पसंदीदा कारोबारी समूह की मदद की जा सके? क्या झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोगों को भी नहीं बख्शा जाएगा?