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चिराग पासवान के दोस्त ने खोला चाचा पशुपति पारस का 2020 वाला ‘प्लान’ भी OUT!

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  • बीरेंद्र कुमार झा

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) पर उनके चाचा और राष्ट्रीय जनशक्ति पार्टी पार्टी je अध्यक्ष लगातार हमलावर रहते हैं। वे सीधा कह चुके हैं कि चिराग से अब उनका कोई रिश्ता नहीं है।इस सिलसिला में चिराग के चाचा पशुपति पारस आए दिन चिराग के दोस्त सौरभ पांडेय का नाम भी लेते हैं और कहते हैं कि उसी के बहकावे में आकर पार्टी में टूट हुई है।हाल ही में पशुपति पारस ने अपने बयान में फिर सौरभ का नाम लिया था। इसके बाद चिराग के दोस्त सौरभ पाण्डेय ने भी चाचा पशुपति पारस के उस प्लान की पोल खोल दी जिसकी वजह से लोक जनशक्ति पार्टी में विभाजन हुआ था।

कौन है सौरभ पाण्डेय

सौरभ पांडेय मूल रूप से उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं, लेकिन चिराग के सबसे खास मित्रों में से एक हैं।सौरभ पांडेय ने 2020 में ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ नाम की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई थी और उसके अनुसार चिराग पासवान को चलने के लिए कहा था।चिराग पासवान ने सौरभ के कहे अनुसार चुनाव लड़ा।लेकिन इसके बावजूद चिराग पासवान बिहार में कोई सीट न ला पाया। लेकिन सौरभ पाण्डेय का कहना है कि बिहार विधान सभा में सीट न ला पाने के बावजूद चिराग पासवान युवाओं के चहेते बने हुए हैं।सौरभ पाण्डेय ने आगे कहा कि जब चिराग पासवान ने यह निर्णय लिया कि वह अकेले चुनाव लड़ेंगे तो उस वक्त उनके चाचा पशुपति पारस उनपर काफी गुस्सा हुए थे।उस वक्त चिराग पासवान के पास पैसे नहीं थे। पार्टी फंड में मात्र तीन करोड़ से साढ़े तीन करोड़ रुपये थे।उसी रुपये में चिराग पासवान ने चुनाव लड़ा था और नीतीश को 80 सीट से 43 पर लाकर खड़ा कर दिया।

‘पशुपति पारस टिकट बेचना चाहते थे

सौरभ पांडेय ने पशुपति पारस के 2020 का प्लान आउट कर दिया।उन्होंने कहा कि रामविलास पासवान जब अंतिम दौर से गुजर रहे थे तो उस वक्त अस्पताल में ही पशुपति पारस पर वे काफी गुस्सा हुए थे और उन्हें पार्टी से बाहर निकाल देने की बात कह दी थी। तब चिराग पासवान और उनकी मां ने घर की बात है ,घर में रहने दीजिए की बात कहकर पशुपति पारस चिराग को पार्टी में ही बनाए रखा,लेकिन इस बात से पशुपति पारस गुस्सा गए क्योंकि 2020 में उन्होंने पार्टी की टिकट बेचने का जो प्रस्ताव रामविलास पासवान दिया था वह स्वीकृत नहीं हुआ और पशुपति पारस को ऐसा कर कमाई का मौका नहीं मिला, क्योंकि रामविलास पासवान के समय में टिकट देने का काम उन्हीं का रहता था।

चिराग की लोकप्रियता रामविलास से भी ज्यादा

चिराग पासवान कीतारीफ करते हुए सौरभ पाण्डेय ने कहा कि चिराग आज रामविलास पासवान से भी ऊपर उठ चुके हैं।उस वक्त जब रामविलास पासवान किसी जिले में जाते थे तो 15 से 20 लोग बहुत मुश्किल से पहुंचते थे, लेकिन आज चिराग पासवान अकेले कहीं जाते हैं तो उन्हें देखने वालों की भीड़ लग जाती है।

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