Homeदेशमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की खतियानी जोहार यात्रा फिर शुरू

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की खतियानी जोहार यात्रा फिर शुरू

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बीरेंद्र कुमार
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी खतियानी जोहार यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत कर दी है। उनकी खतियाणी जोहार यात्रा का दूसरा चरण कोडरमा से शुरू हुआ है। यहां के बागीटांड़ स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जमकर बीजेपी पर हमला किया। वहीं दूसरी तरफ उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाने के साथ-साथ भविष्य की योजनाओं का भी खुलासा किया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि बीजेपी ने राज्य अलग होने के बाद 20 वर्ष में 18 वर्ष से ज्यादा समय तक झारखंड में राज्य किया लेकिन झारखंड को पहचान नहीं दिला पाए। बीजेपी ने सिर्फ जाति-धर्म और हिंदू मुस्लिम के नाम पर लोगों को लड़ाया है ,और लड़ा रही है।लेकिन हमारी सरकार ने झारखंडियों के लिए खतियान आधारित पहचान दिलाने का काम किया है।

जल्द आएगा अभ्रक उद्योग को लेकर नया कानून और नीति

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने संबोधन की शुरुआत खतियान ई जोहार के साथ करते हुए कहा कि राज्य के युवाओं को न तो रोजगार के लिए चिंता करनी है, और ना ही बच्चों को भविष्य की पढ़ाई के लिए। सरकार सभी के लिए व्यवस्था कर रही है। कोडरमा और गिरिडीह जिले के अभ्रक उद्योग को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि कोडरमा में सबसे उच्च क्वालिटी का माईका मिलता था। लेकिन आज भी उसकी क्या स्थिति है ? पूर्व की सरकारों ने इस मामले में कुछ नहीं किया। हम बहुत जल्दी इस उद्योग की रौनक लौटाएंगे। सरकार बहुत जल्द माईका यानी अभ्रक उद्योग को लेकर नया कानून और नीति लाने जा रही है । अभी ढिबरा चुनने से लेकर परिवहन करने पर पुलिस पकड़ लेती है और लोगों को केस – मुकदमा और ,कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाना पड़ता है। लेकिन नया कानून बनने के बाद केस- मुकदमा कुछ नहीं होगा। इस व्यवसाय को पुनर्जीवित किया जाएगा।

गौरतलब है की बिहार से बंटकर झारखंड के अलग राज्य बनने के साथ ही तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के द्वारा खतियान आधारित झारखंडी पहचान की नीति बनी थी तब पूरे राज्य में बड़ा खून-खराबा हुआ था और हाईकोर्ट की मध्यस्थता के बाद यह मामला शांत हुआ था। तब खतियान से हटकर अन्य किसी आधार पर झारखंडी पहचान की कोई नीति बनाने की बात सामने आई थी। इसके बाद रघुवर दास नेवी 1985 को कट ऑफ डेट बनाते हुए झारखंडी पहचान की नीति बनाई थी, जिसे वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रद्द कर दिया है, और अब एक बार फिर से खतियान आधारित झारखंडी नीति बनाने के प्रयास में इसे केंद्र सरकार के पाले में भेजकर लटका दिया है। लगता है इनका इरादा झारखंडीयों को झारखंडी पहचान देने से ज्यादा अपना वोट बैंक बढ़ाने का है।

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