दिल्ली डेस्क
यूनाइटेड नेशंस के ख़ास सत्र में गाजा में मानवीय आधार पर सीजफायर के लिए प्रस्ताव पेश किया गया। इस प्रस्ताव पर 120 ने अपमना समर्थन करते हुए कहा कि गाजा में शीघ्र की युद्धविराम की जरूरत है ताकि मानवता को बचाया जा सके। लेकिन भारत जैसे कुछ देशों ने खुद को इस प्रस्ताव से दूर रखने की कोशिश की है। भारत ,ब्रिटिन ,जर्मनी समेत करीब 45 देशों ने वोटिंग से खुद को अलग रखा है। भारत के बदले इस रुख से कांग्रेस नेता प्रियंका गाँधी काफी भड़क गई है।
प्रियंका गांधी ने कहा कि भारत का स्टैंड समझ से परे है। वह स्तब्ध है और शर्मिंदा भी। एक तरफ यूएन गाजा में सीजफायर की कोशिश कर रहा है और दुनिया भर के लोग युद्ध को रोकने की वकालत कर रहे हैं जबकि इस पर वोटिंग से खुद को अलग किये हुए है। हमें तो मानवीय आधार पर सीजफायर का समर्थन करना चाहिए। महात्मा गाँधी के शब्दों का हवाला देते हुए प्रियंका ने कहा कि ”आँख के बदले आँख पूरी दुनिया को अँधा बना देती है और एक स्टैंड लेने से इंकार करना उन सभी चीजों के खिलाफ है जिसके लिए देश एक राष्ट्र के रूप में खड़ा रहा है। ”
प्रियंका गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “मैं स्तब्ध और शर्मिंदा हूं कि हमारे देश ने गाजा में युद्ध विराम के लिए मतदान करने से परहेज किया है। हमारे देश की स्थापना अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर हुई थी, जिन सिद्धांतों के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन लगा दिया। ये सिद्धांत आधार बनते हैं संविधान की जो हमारी राष्ट्रीयता को परिभाषित करता है। वे भारत के नैतिक साहस का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्य के रूप में इसके कार्यों का मार्गदर्शन किया है।”
प्रियंका ने आगे कहा, “फिलिस्तीन में मानवता के हर कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। लाखों लोगों और हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के लिए भोजन, पानी, चिकित्सा आपूर्ति, संचार और बिजली काट दी गई है। इसलिए स्टैंड लेने और चुपचाप देखना उसके खिलाफ है जिनके लिए हमारा देश एक राष्ट्र के रूप में जीवन भर खड़ा रहा है।”
यूएन में भारत के रुख पर शरद पवार ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत सरकार भ्रम की स्थिति में है। अभी तक ऐसा भ्रम कभी नहीं देखा गया। पिछली सरकार में भी इस तरह के भ्रम नहीं थे। भारत हमेशा से फिलिस्तीन का समर्थन करता रहा है। यह हमारे देश का इतिहास है। यह भारत की नीति रही है। हम फिलिस्तीन के साथ खड़े रहे हैं न की इजरायल के। पीएम मोदी ने इजरायल के साथ एकजुटता व्यक्त की थी ताकि विदेश मंत्रालय बाद में कुछ कह सके। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं दिख रहा है।
जानकार मान रहे हैं कि भारत अभी दुविधा की हालत में है। मौजूदा सरकार भी जानती है कि फिलिस्तीन के साथ ही भारत हमेशा खड़े रहे हैं लेकिन जिस तरह से दुनिया की भू राजनीति बदल रही है उसमे ुजरायल की महत्ता कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही है। जानकार यह कहते हैं कि हालांकि भारत को अपने स्टैंड पर ही रहना चाहिए। जो मित्र देश है उसे कभी नहीं भूलना चाहिए। लेकिन भारत को यह भी लग रहा है कि अभी दुनिया की बड़ी सघक्तिया जिधर खड़ी है उधर ही भारत को रहने की जरूरत है। लेकिन यह ठीक नहीं है।