न्यूज डेस्क
महिला पहलवानों को शिकायत पर खुद के खिलाफ संगीन धाराओं में केस दर्ज होने के बाद बृजभूषण शरण सिंह की पहली प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा कि मुझे सुप्रीम कोर्ट पर पूरा विश्वास है। इस देश में सुप्रीम कोर्ट से कोई बड़ा नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट के सामने एफआईआर करने की बात आई है। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी पर मुझे पूरा भरोसा है। मैं पूरी तरह से निर्दोष हूं और इन आरोपों का सामना करने के लिए तैयार हूं, जांच में सहयोग करने के लिए भी तैयार हूं।
पहलवानों द्वरा पद छोड़ने की मांग पर बृजभूषण सिंह ने कहा, “इसमें (जांच में) फेडरेशन की कोई भूमिका नहीं है। इन लोगों की मांग लगातार बदलती है। जनवरी में इस्तीफा देने की इनकी मांग थी। मैंने तब भी कहा था कि मैंने अगर अपने पद से इस्तीफा दे दिया तो इसका मतलब ये है कि मैंने इनके आरोपों को स्वीकार कर लिया है। इस्तीफा देना बड़ी बात नहीं है मगर अपराधी बनकर नहीं।”
बृजभूषण सिंह ने आगे कहा, “जांच समीति की रिपोर्ट इनके पास लगातार पहुंच रही थी। इनको जब लगा कि जांच समीति में कोई आरोप सिद्ध नहीं हो रहा है तो इन्होंने समीति के रिपोर्ट को सार्वजनिक होने का इंतजार नहीं किया और एक नए मामले के साथ सुप्रीम कोर्ट चले गए।”
बता दें कि महिला पहलवानों की शिकायत पर भारतीय कुश्ती संघ अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली के कनॉट प्लेस थाने में दो प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। डीसीपी प्रणव तयाल के मुताबिक, पहली प्राथमिकी एक नाबालिग पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोपों पर पॉक्सो अधिनियम के साथ-साथ आईपीसी की प्रासंगिक धाराओं के तहत दर्ज की गई है। दूसरी प्राथमिकी अन्य वयस्क शिकायतकर्ताओं द्वारा दी गई शिकायतों की व्यापक जांच करने के लिए शीलभंग से संबंधित धाराओं के तहत दर्ज की गई है।
शुक्रवार को प्राथमिकी दर्ज होने से पहले सुप्रीम कोर्ट में पहलवानों के आरोपों पर सुनवाई हुई। इस दौरान दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह कुश्ती महासंघ अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोप में एफआईआर दर्ज करेगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि हमने एफआईआर दर्ज करने का फैसला किया है, हम इसे आज ही दर्ज करेंगे।
चीफ जस्टिस ने मेहता से कहा कि मिस्टर सॉलिसिटर हम आपका बयान दर्ज करेंगे कि एफआईआर दर्ज की जा रही है। दूसरा, हम कहेंगे कि नाबालिग शिकायतकर्ता को सुरक्षा मुहैया कराई जाए। इसे निपटाने के बजाय, हम इसे एक सप्ताह के बाद लेंगे। इस दौरान कपिल सिब्बल ने एक नाबालिग शिकायतकर्ता लड़की की सुरक्षा को लेकर सीलबंद लिफाफे में पीठ के समक्ष एक हलफनामा पेश किया। जिस पर पीठ ने दिल्ली पुलिस को खतरे की आशंका का आकलन करने और नाबालिग लड़की को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया।