बीरेंद्र कुमार झा
दुनिया के विकसित देशों के सहयोग से विकासशील देशों की आर्थिक सामाजिक उत्थान के लिए 5 देशों के समूह ब्रिक्स( ब्राजील ,रूस ,भारत , चीन और दक्षिण अफ्रीका) का अब विस्तार होगा। इसके लिए बुधवार को दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में में आयोजित 3 दिवसीय ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर पांच देशों के प्रमुखों ने बंद कमरे में बातचीत की । जोहांसबर्ग में आयोजित ब्रिक्स की 3 दिवशीय शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन बुधवार को देर रात तक इसपर निर्णय आने की संभावना थी ,लेकिन बाद में अधिकारियों ने इसमें देरी होने की बात बताई और अब इसकी घोषणा गुरुवार को ही की जा सकती है। चीनी राष्ट्रपति सी जिनपिंग, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डि सिल्वा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने सेंडटन वित्तीय जिले में एक सम्मेलन केंद्र में मुलाकात की। ब्रिक्स में होने के लिए 20 से अधिक देश ने आवेदन किया है। इस समूह का गठन 2009 में ब्राजील, रूस,भारत और चीन ने किया था और 2010 में दक्षिण अफ्रीका को उसमें शामिल किया गया था।
ब्रिक्स में शामिल होने की चाहत रखने वाले देश
सऊदी अरब ब्रिक्स की सदस्यता चाहने वाले देशों में से एक है, जिससे उसके चीन और रूस के थोड़ा करीब जाने की संभावना बढ़ गई है ।अधिकारियों के अनुसार आवेदन करने वाले अन्य देशों में अर्जेंटीना, मिश्र,इथोपिया, ईरान, इंडोनेशिया और संयुक्त अरब अमीरात शामिल है ।भले ही ब्रिक्स नेता इसपर आम समिति पर पहुंच जाएं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इस सप्ताह की बैठक में किसी नए सदस्य की घोषणा की जाएगी या नहीं। पांचो सदस्यों देशों को पहले उन मापदंडों को तय करना होगा, जिन्हें नए देश को आर्थिक ब्लॉक में शामिल होने के लिए पूरा करना होगा।ब्रिक्स आपसी सहमति पर आधारित है और यहां निर्णय केवल तभी दिए जा सकते हैं, जब सभी पांचों सदस्य देश इस बात पर एकमत हो।
अशांत समय में ब्रिक्स को मजबूत करने की जरूरत
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने कहा कि ब्रिक्स के सभी पांच नेताओं ने इस समूह के विस्तार के सिद्धांत का समर्थन किया है। रामफोसा ने कहा कि हम ब्रिक्स परिवार के विस्तार के अहम पड़ाव पर खड़े हैं, क्योंकि यह विस्तार ही है जिसके माध्यम से हम इस अशांत समय में ब्रिक्स को अधिक मजबूत बनाने में सक्षम होंगे।
जिनपिंग ने राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने का किया आह्वान
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बुधवार को ब्रिक्स समूह के विस्तार में तेजी लाने के अलावा पांच सदस्य देशों के बीच राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग बढ़ाकर जोखिमों से संयुक्त रूप से निपटने के प्रयासों का आह्वान किया। हालांकि मंगलवार को शी जिनपिंग ब्रिक्स व्यापार मंच में शामिल नहीं हुए थे, जिससे उनकी अनुपस्थिति को लेकर अटकलें लगने लगी थी।हालांकि बुधवार को उन्होंने यहां शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया और सदस्य देशों के बीच अधिक राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग की वकालत की।
भारत ने आम सहमति से विस्तार का किया समर्थन
भारत ने भी ब्रिक्स के विस्तार का समर्थन किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ब्रिक्स के विस्तार का भारत पूरा समर्थन करता है और आम सहमति से इस दिशा में आगे बढ़ने का स्वागत करता है। उन्होंने अंतरिक्ष अन्वेषण सहित कई क्षेत्रों के समूह के सदस्य देशों के बीच सहयोग का दायरा और बढ़ाने के लिए पांच सुझाव भी दिए। जोहांसबर्ग में ब्रिक्स की शिखर बैठक के दौरान नरेंद्र मोदी ने समूह से ध्रुवीकरण नहीं,बल्कि एकता का वैश्विक संदेश भेजने का आह्वान किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए समय सीमा निर्धारित करने की अपील की।
कैसे बना ब्रिक्स
गौरतलब है कि ब्रिक्स विश्व के पांच सबसे बड़े विकासशील देशों का समूह है जो वैश्विक आबादी के 41% और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी का 24% और वैश्विक व्यापार के 16% हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। गोल्डमेल सॉक्स के एक अर्थशास्त्री थे जिम ओ नील। इस अर्थशास्त्री ने वर्ष 2001 में शक्तिशाली देश के सहयोग से विकासशील देशों की आर्थिक उत्थान के लिए एक योजना बनाई ।वर्षों शोध के बाद जिम और नील ने दुनिया में राजनीतिक सामाजिक आर्थिक शांति सुरक्षा विकास और न्याय संगत एवं निष्पक्ष सहयोग के लिए पांच देशों के एक समूह बनाने पर जोर दिया ताकि देश की घरेलू और क्षेत्रीय चुनौतियों के लिए साझा नीतिगत सलाह तथा सर्वोत्तम कार्यों के आदान- प्रदान का अवसर प्रदान किया जाए।ब्रिक्स के गठन की सबसे पहले वर्ष 2001 में चर्चा शुरू हुई।गोल्डमैन सॉक्स के अर्थशास्त्री जिम ओ नील ने ब्राजील,रूस, भारत और चीन के अर्थव्यवस्थाओं के विकास की संभावनाओं पर एक रिपोर्ट तैयार की थी ।वर्ष 2006 में 4 देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की आमसभा के अंत में विदेश मंत्रियों की वार्षिक बैठकों के साथ एक नियमित अनौपचारिक राजनीतिक समन्वयी शुरू किया ।इस सफल बातचीत से निर्णय हुआ कि इसे वार्षिक शिखर सम्मेलन के रूप में देश और सरकार के प्रमुखों के स्तर पर आयोजित किया जाना चाहिए।
2010 में ब्रिक्स में शामिल हुआ था दक्षिण अफ्रीका
ब्रिक का पहला शिखर सम्मेलन वर्ष 2009 में रूस के येक्टेरिन वर्ग में आयोजित किया गया था और इसमें वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में सुधार जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई थी। दिसंबर 2010 में दक्षिण अफ्रीका को ब्रिक्स में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया और इस संगठन को अब ब्रिक्स कहा जाने लगा। मार्च 2011 में दक्षिण अफ्रीका ने पहली बार चीन के शान्या में तीसरे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया।