2024 ईस्वी में होने वाले आम चुनाव में जातीय मुद्दा से लेकर क्षेत्रीय मुद्दे तक को राजनीतिक दलों ने मुद्दा बनाया।लेकिन ये मुद्दे स्थायी नहीं रह पाए।समय के साथ जिस प्रकार से कुछ राजनीतिक दलों के द्वारा इन मुद्दों को काफी आक्रामक रूप से लाया गया, उतनी ही तेजी से बाद में इसे उनके द्वारा भुला भी दिया गया। लेकिन प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी का मुद्दा न सिर्फ 2023 ईस्वी में विभिन्न राज्यों में हुए विधान सभा चुनाव में एक बड़े मुद्दे के रूप में छाया रहा,बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है।और सबसे बढ़कर कि सत्ताधारी एनडीए गठबंधन और विपक्षी इंडिया एलायंस दोनों ने इसे अपना अस्त्र बनाया है। सत्ताधारी एनडीए गठबंधन और विपक्षी इंडिया एलायंस दोनों ही तरफ के नेता हर चुनावी सभा में इस ईडी अस्त्र के सहारे अपने विरोधी राजनीतिक दल को आहत कर अपना – अपना वोटर साधने में जुटा हुआ है।
पीएम मोदी ईडी के सहारे वोट की जुगाड़ में
एनडीए की तरफ से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी तक लोकसभा चुनाव 2024 में ईडी के सहारे मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए बंगाल से लेकर केरल और तमिलनाडु तक की सभाओं में ईडी का मुद्दा उठाकर विपक्ष पर हमला कर लोगों की सहानुभूति जुटाने का प्रयास कर रहे हैं।हाल ही में पश्चिम बंगाल की एक रैली में ईडी की कार्रवाई को मुद्दा बनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर मेरे नेतृत्व में एनडीए की तीसरी बार सरकार बनी तो ईडी द्वारा भ्रष्टाचारियों से जब्त किए गए सभी पैसे गरीबों में बांट दिए जाएंगे।उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इसके लिए अगर कानून बनाने की नौबत आएगी तो मेरी सरकार उसे बनाने से नहीं चूकेगी।वहीं तमिलनाडु और केरल में चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने ईडी को खुली छूट दी है।एक भी भ्रष्टाचारी को बख्शा नहीं जाएगा।जिन्होंने जनता के पैसे लूटे हैं,उन्हें यह पैसा लौटना ही होगा।उन्होंने कहा कि मेरे शासन काल में ईडी की स्ट्राइक रेट भी बढ़ी है और सजा दिलाने का रेट भी बढ़ा है।उन्होंने कहा की ईडी के द्वारा भ्रष्टाचारी नेता,विधायक,सांसद ,मंत्री यहां तक कि दो – दो मुख्यमंत्री भी जेल में डाले गए हैं ।उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्ववाली अगली सरकार भ्रष्टाचारियों पर और कड़ा रुख अपनायेगी।
इंडिया गठबंधन ईडी पर बीजेपी के हाथों की कठपुतली होने का लगा रहे आरोप
अपनी चुनावी सभाओं में विपक्षी इंडिया एलायंस के घटक दल ईडी की इन कार्रवाइयों को विपक्ष राजनीति से प्रेरित बता रहा है।विपक्षी पार्टियों का कहना है कि पिछले 10 साल में 90 फीसदी से ज्यादा ईडी की कार्रवाई सिर्फ विपक्षी नेताओं पर हुई है।कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का आरोप है कि ईडी इस समय सत्तारूढ़ बीजेपी के हाथों की कठपुतली बन गई है।वह मनमाने तरीके से किसी विपक्षी नेता के पास ईडी भेजकर उसे डरा – धमका कर मूल पार्टी छुड़वाकर बीजेपी में शामिल होने के लिए मजबूर कर देती है।और जब वही नेता बीजेपी में शामिल ही जाते हैं तो उनके विरुद्ध ईडी की कारवाई समाप्त करवा दी जाती है। राहुल गांधी तो चुनावी सभाओं में इलेक्टोरल बॉन्ड तक के मामले में ईडी द्वारा दवाब बनाकर बीजेपी को चुनावी चंदा जुटाने में मदद करने का आरोप लगा रहे हैं। इंडिया एलायंस के एक अन्य प्रमुख घटक दल टीएमसी के प्रमुख ममता बनर्जी तो उपरोक्त आरोपों के अलावा ईडी पर रात में विपक्षी नेताओं के घर में घुसकर महिलाओं से बदसलूकी करने तक का आरोप लगा रही हैं।वहीं आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल,संजय सिंह,आतिशी आदि तो ईडी पर सरकार के प्रतिनिधि के रूप में विपक्ष को परेशान कर इसके नेता को बीजेपी में शामिल करने के लिये जी जान लगा देने और इसमें सफलता नहीं मिलने पर विपक्ष के नेता को जेल में भेज देने की बात करते की बात तो करते ही हैं।अब तो आम आदमी पार्टी के नेता ईडी पर अरविंद केजरीवाल को जेल में डालकर धीमा जहर देकर जान से मारने का षड्यंत्र करने तक का आरोप लगा रहे हैं।
इंडिया गठबंधन सत्ता में आई तो ईडी के गोरखधंधे पर लगेगी रोक
विपक्ष राजनीतिक दल के गठबंधन इंडिया एलायंस के नेताओं का कहना है कि ईडी जिस प्रकार से अभी बीजेपी के हाथों की कठपुतली बनकर लोगों खासकर विपक्ष के नेताओं को परेशान कर रहा है, वह बीजेपी की सत्ता तक ही रहेगी।2024 के लोकसभा चुनाव में यदि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन की सरकार को हराकर इंडिया एलायंस केंद्र में सरकार बनती है तो ईडी की निरंकुशता पर विराम लग जायेगा।
क्या है ईडी और कैसे बढ़ी इसकी शक्ति
ईडी का पूरा नाम एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट यानी प्रवर्तन निदेशालय है। मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के उद्देश्य से1956 ईसवी में ईडी का गठन किया गया था। बीजेपी के अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार के शासन काल में 2002 में पहली बार प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट बनाया गया और इससे ईडी को और ज्यादा शक्ति देने की कोशिश की गई। यह कानून 2005 में अमल में आया। ईडी के पास वर्तमान में जो सबसे अहम शक्ति है,वह बिना आधार बताए किसी मामले में गिरफ्तारी करना है।ईडी के गिरफ्त में जब कोई व्यक्ति आता है, तो उसे कोर्ट में खुद निर्दोष साबित करना होता है।अन्य एजेंसियों और पुलिस की कार्रवाई में ऐसा नहीं होता है। यही वजह है कि ईडी के शिकंजे में आए व्यक्ति को कोर्ट से जल्दी जमानत नहीं मिलती है।
यूपीए के कार्यकाल में ईडी की कार्रवाई
यूपीए के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान 2005 से ईडी ने पीएमएलए के तहत एक्शन लेना शुरू किया। प्राप्त डेटा के मुताबिक 2005 से 2014 तक ईडी ने इस धारा में 1797 केस दर्ज किए, जबकि इस दौरान जांच एजेंसी ने 29 लोगों को गिरफ्तार किया था।इन 9 सालों में ईडी ने छापेमारी की 84 कार्रवाई की। छापेमारी से जुड़ी अधिकांश कार्रवाई बिजनेस से जुड़े बिचौलियों पर की गई थी। 2005-14 तक ईडी ने करीब 5100 करोड़ की संपत्ति जब्त की थी। जांच एजेंसी की तरफ से 104 मामलों में चार्जशीट फाइल की गई।गौरतलब है कि इन 9 सालों में एक भी मामले में कोई भी आरोपी दोषी नहीं ठहराया गया।
एनडीए के कार्यकाल में ईडी की कार्रवाई
2014-24 तक नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व काल में ईडी की कार्रवाई की उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक इन 10 सालों प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत 5155 केस दर्ज किए।यह 2005-14 तक के मुकाबले 3 गुना अधिक था।ईडी ने इस दौरान छापेमारी की 7200 कार्रवाई की, जिसमें 12618 करोड़ रुपए जब्त किए गए। प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक 3000 करोड़ रुपए तो सिर्फ बंगाल से जब्त किए गए हैं।प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी की कार्रवाई के दौरान 755 लोगों को गिरफ्तार किया।इनमें से 2 मुख्यमंत्री स्तर के नेता थे। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और दिल्ली के मुख्यमंत्री अभी ईडी के शिकंजे में है।केंद्र सरकार के मुताबिक 2014-24 तक पीएमएलए केस में 63 लोग दोषी ठहराए गए हैं। सरकार का कहना है कि मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी की सजा दर 96 फीसदी से अधिक है।यह अब तक का रिकॉर्ड भी है।