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चंबल ग्वालियर सीट जीतने की आस में बीजेपी, क्या कांग्रेस के घर में सेंध लगा पाएगी बीजेपी

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बीरेंद्र कुमार झा
मध्य प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में चंबल ग्वालियर क्षेत्र से कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई भारतीय जनता पार्टी इस बार अपनी विकास और कल्याणकारी योजनाओं के दम पर अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद कर रही है, लेकिन क्षेत्रीय का कारकों और सत्ता में बदलाव का कांग्रेस का अभियान उसके लिए एक बड़ी चुनौती है। चंबल ग्वालियर के कई निर्वाचन क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता के कई प्रशंसक हैं,लेकिन इनमें से कई मतदाता राज्य में बदलाव की आवश्यकता पर जोर देते हैं और मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की सरकार को लेकर उनके मिले-जुले विचार हैं ,और उनके पास शिकायतों की भी एक सूची है।

बीजेपी कर रही सेंधमारी की कोशिश

अगर सड़क बिजली और पानी की आपूर्ति की स्थिति में सुधार के बीजेपी सरकार के दावों को लेकर कुछ हद तक स्वीकार्यता है ,तो कई लोग सरकार के समग्र रिकॉर्ड पर सवाल भी उठाते हैं।मतदाताओं का एक वर्ग महंगाई, बेरोजगारी ,नौकरशाही की उदासीनता, भ्रष्टाचार एवं आवारा पशुओ जैसे मुद्दों को लेकर सरकार की आलोचना करता है।जो कारक बीजेपी की मदद करती नजर आती है उनमें गरीब महिलाओं के लिए नकद हस्तांतरण पहल, लाडली बहना योजना और केंद्र द्वारा किसानों के लिए शुरू की गई इसी तरह की नकद हस्तांतरण जैसी कल्याणकारी पहल है।

काम आएगी लाडली बना योजना

ग्वालियर की होरावली तिराहा में किसानों की एक समूह का कहना है कि उनके परिवारों में लाडली बहना योजना के कारण महिलाओं द्वारा चौहान का समर्थन,जबकि पुरुषों द्वारा राज्य सरकार की आलोचना किया जाना आम बात है।मतदाता मालती श्रीवास ने कहा अगर शिवराज मुझे हर महीने पैसे भेजते हैं ,तो मुझे भी उनका आभारी होना चाहिए, हालांकि उनके पति सुधीर श्रीवास सरकार के प्रति अपने नाखुशी व्यक्त करते हैं। एक प्रतिष्ठित स्थानीय संत को समर्पित मंदिर धाम में प्रसाद बेचने वाले गौरी शंकर शर्मा स्वयं को राष्ट्रवादी बताते हैं ।उनका कहना है कि बीजेपी ने केंद्र और राज्य में अच्छा काम किया है, लेकिन जब किसी गांव में एक व्यक्ति या परिवार सर्वशक्तिमान हो जाता है तो सभी को उसके सामने झुकना पड़ता है, यह अच्छा नहीं है, बदलाव होना चाहिए।

कांग्रेस को फिर मिल सकता है लाभ

विभिन्न स्थानों से मुरैना के मंदिर में आने वाले भक्तों का एक समूह भ्रष्टाचार और नौकरशाही की लोगों की प्रति असंवेदनशीलता की शिकायत करता है। ग्वालियर पूर्व निर्वाचन क्षेत्र के स्नातक सुनील कुशवाहा ने राज्य पुलिस में भर्ती और पटवारी के चयन में कथित अनियमितता की शिकायत की।द्विध्रुवीय राजनीति वाले राज्य में मतदाताओं के एक बड़े वर्ग में बीजेपी के प्रति नाराजगी का लाभ स्वाभाविक रूप से कांग्रेस को मिल सकता है।चुनाव में अभी एक महीना बाकी है। ऐसे में मुरैना और ग्वालियर जिलों में मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग अपनी प्राथमिकताओं को लेकर मौन है। यह जिला चंबल- ग्वालियर क्षेत्र का हिस्सा है।राज्य की 230 सदस्य विधानसभा में इस क्षेत्र की 34 सीटें हैं। कांग्रेस ने 2018 में इस क्षेत्र में 27 निर्वाचन क्षेत्र में जीत दर्ज की थी।

12 से 11 सीटों पर कांग्रेस ने दर्ज की थी जीत

मुरैना और ग्वालियर जिलों में कुल 12 विधानसभा सीटें है और 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उनमें से 11 सीटें जीती थी,लेकिन राज्य में 2020 के चुनाव के बाद सत्तरूढ दल की सीट की संख्या बढ़कर तीन हो गई। इसमें पहले 25 विधायक अपना दल छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे, जिनमें से कई मौजूदा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थक माना जा रहा है ।यह चुनाव सिंधिया के लिए निर्णायक माना जा रहा है,जिनके बीजेपी में शामिल होने कारण पार्टी 2020 में सत्ता में आई थी।

मुरैना में कंसाना पर बीजेपी लगा रही है दांव

मुरैना विधानसभा सीट पर बीजेपी ने सिंधिया के समर्थक रघुराज सिंह कंसाना को फिर से मैदान में उतारा है ,जिन्होंने 2018 में कांग्रेस के टिकट पर यह सीट जीती थी, लेकिन 2020 के उपचुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। कई मतदाताओं का मानना है कि अगर सिंधिया को भी विधानसभा चुनाव में उतर जाए तो बीजेपी को क्षेत्र में कुछ ज्यादा फायदा हो सकता है, क्योंकि इससे यह अवधारणा बनेगी कि पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में देख रही है।

 

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