अखिलेश अखिल
पहले पसमांदा और अब सूफी पंथ की राजनीति बीजेपी का बिल्कुल नया शगल है। जैसे -जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं बीजेपी मुसलमानो के बीच अपनी पैठ बढ़ाने को तैयार है। पिछले कुछ सालों से बीजेपी गरीब और उपेक्षित मुसलमानो जिसे पसमांदा के नाम से जाना जाता है के बीच अपनी पैठ बढ़ा रही है वही अब मुसलमानो के एक और उदारवादी पंथ सूफी मुसलमानो को भी अपने पाले में लाने को तैयार है। इसके लिए बीजेपी बड़े स्तर पर देश भर में सूफी संवाद अभियान चलाने को तैयार है। यह अभियान दस मार्च से दिल्ली से शुरू होने की बात कही जा रही है। मकसद बस एक ही है कि मुसलमानो के अधिकतर लोग बीजेपी से जुड़े ताकि आगामी चुनाव में बीजेपी की जीत आसान हो सके।
बीजेपी का अल्पसंख्यक मोर्चा काफी समय से मुसलमानो को बीजेपी से जोड़ने में लगा हुआ है। इस मोर्चा की नजर पसमांदा मुसलमानो पर तो है ही अब सूफी पंथ से जुड़े लोगो पर भी है। पिछले महीने ही मोर्चा के अध्यक्ष ने दिल्ली में एक बड़ी बैठक की थी और सूफी संवाद अभियान के लिए कई नियुक्ति की थी। बता दें कि बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने इसी महीने की शुरुआत में सूफी संवाद अभियान के लिए मौलाना सुहैब कासिमी ,इक़बाल गौरी,गुलाम निजाम निजामी को प्रभारी के रूप में नियुक्त किया था अफगान चिश्ती को सह प्रभारी बनाया था। अब आगामी दस मार्च को दिल्ली में एक बड़ा आयोजन इस सूफी संवाद अभियान के लिए किया जा रहा है। उम्मीद है कि इस अभियान को देश भर में आगे बढ़ाने के लिए राज्यों के प्रभारी की नियुक्ति की जाएगी। कहा जा रहा है कि इस बैठक में बड़ी संख्या में देश भर से सूफी पंथ से जुड़े लोग इकठ्ठा होंगे।
बीजेपी की नजर आगामी लोकसभा चुनाव पर है। हालिया कई सर्वे बता रहे हैं कि बीजेपी की सीटें कई राज्यों में कम हो सकती है। खासकर बिहार ,महाराष्ट्र और बंगाल में बीजेपी को बड़ा धक्का लग सकता है। ऐसे में बीजेपी की नजर अब मुस्लिम वोटरों पर जा टिकी है। पीएम मोदी पहले ही कह चुके हैं कि मुसलमानो में सबसे पिछड़े पसमांदा को आगे बढ़ाने की जरूरत है और इसके लिए कई राज्यों में कई योजनाए भी शुरू की गई है। खासकर यूपी की योगी सरकार पसमांदा के लिए कई योजनाएं चला रही है। बीजेपी को यह भी लगता है कि भले ही इस चुनाव में पसमांदा और सूफी मुसलमानो का वोट उन्हें कम ही मिले लेकिन इससे एक माहौल तो बनेगा और बीजेपी की मुस्लिम विरोधी छवि का तमगा भी हट जाएगा। यही वजह है कि बीजेपी का मुस्लिम
अल्पसंख्यक मोर्च बड़ी तैयारी के साथ मुसलमानो और खासकर उदारवादी मुसलमानो के बीच पहुँचने को तैयार है।
जानकारी के मुताबिक़ सूफी संवाद अभियान पुरे देश में चलाने की योजना है लेकिन मुस्लिम बहुल इलाके में ज्यादा फोकस की रणनीति बनायी जा रही है। जिस संसदीय क्षेत्र में मुसलमानो की आबादी ज्यादा है वहाँ संवाद कार्यक्रम को अधिक गतिशील करने की बात है। खबर के मुताबिक़ यूपी के 20 इलाको में यह कार्यक्रम सघन रूप से चलाने की तैयारी चल रही है। इसके साथ ही कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी सूफी संवाद अभियान को चलाने की तैयारी है ताकि उदारवादी मुस्लिम समाज बीजेपी के साथ जुड़ सकें।

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