अखिलेश अखिल
बीजेपी के सांसद और कभी नीतीश सरकार के हमसफ़र रहे सुशील मोदी लगता है इन दिनों कुछ ज्यादा ही परेशान हैं। उन्हें लग रहा है कि विपक्षी एकता बन गई तो बिहार की राजनीति बदल जाएगी। वे घबराये हुए हैं। उनका कहना है कि जो सरकार चल रही है उसमे क्या खराबी है ? मोदी सरकार से क्या परेशानी है ? क्या देश को स्थाई सरकार की जरूरत नहीं है ? ऐसे से बहुत से सवाल उन्होंने नीतीश कुमार के बहाने विपक्ष से पूछे हैं ?
अब सवाल है कि अगर मोदी की दस सरकार की सरकार स्थाई है और देश में सब कुछ अमन चैन है तो फिर चुनाव की क्या जरूरत है ? फिर चुनाव आयोग की भी कोई जरूरत नहीं ! फिर तो और से बहुत संस्थाओं की क्या जरूरत है ? फिर राज्यपाल की भी क्या भी जरूरत है ? कोई भी एक सरकार कही बन जाए और उसी सरकार के सहारे देश और राज्य चलता रहे !
कांग्रेस की भी 2004 से 2014 तक की सरकार थी। फिर उसे क्यों बदला गया ? उस सरकार में क्या खराबी थी ? क्या वह सरकार देश विरोधी काम कर रही थी ? फिर जिन राज्यों में सरकार है उसे भी तो नहीं बदलना चाहिए ? फिर लोकतंत्र का क्या मतलब है ? क्या मोदी जी को स्थाई प्रधानमंत्री घोषित कर दिया जाए ? शायद इसका उत्तर मोदी के पास नहीं है।
नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए सुशील ने कहा है कि क्या नीतीश कुमार केंद्र की सत्ता में वह दिन लौटाना चाहते हैं, जब देवगौड़ा-गुजराल जैसे कमजोर प्रधानमंत्री होते थे और सरकार छह-सात महीनों में बदल जाती थी?
मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार को यदि न कोई नाराजगी है, न वह विपक्षी मंच के संयोजक बनना चाहते हैं, बल्कि सिर्फ ‘बदलाव’ चाहते हैं, तो उन्हें जनता को बताना चाहिए कि क्या-क्या बदलाव चाहते हैं। क्या वह चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में फिर से धारा-370 प्रभावी कर दी जाए और अलगाववादी नेताओं को रिहा कर उन्हें वार्ता के लिए बुलाया जाए। मोदी ने कहा कि क्या विपक्ष दिल्ली में ऐसी सरकार चाहता है, जो सर्जिकल स्ट्राइक न कर सके? नीतीश कुमार ने तो धारा-370, सर्जिकल स्ट्राइक, नोट बंदी और जीएसटी के मुद्दे पर केंद्र सरकार का समर्थन किया था। अब क्या वह अपने फैसले को गलत मानते हैं?
मोदी ने कहा कि क्या नीतीश कुमार किसान सम्मान निधि की शुरुआत, फौरी तीन तलाक पर रोक और सामान्य वर्ग के युवाओं को 10 फीसद आरक्षण (ईडब्लूएस कोटा) जैसे ऐतिहासिक फैसले भी बदल देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यदि हिम्मत हो, तो नीतीश कुमार ऐलान करें कि यदि उनके मन की सरकार बनी, तो वे जन-धन खाता, वन रैंक-वन पेंशन, गरीबों को मुफ्त राशन और आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं बंद करा देंगे। सच्चाई में नीतीश कुमार अपनी कुर्सी में बड़ा बदलाव चाहते हैं और उसकी संभावना समाप्त हो चुकी है।

