न्यूज डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी के नेता सैयद शाहनवाज हुसैन को झटका देते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। शाहनवाज ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें 2018 के कथित दुष्कर्म मामले में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा गया था।
शाहनवाज हुसैन का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा ने जस्टिस एस रवींद्र भट की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि शिकायतकर्ता ने उनके मुवक्किल के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज की और पुलिस ने जांच की, लेकिन कुछ भी नहीं मिला।
पीठ ने कहा कि निष्पक्ष जांच होती है और अगर कुछ नहीं मिलता है, तो आपको बरी कर देंगे। दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे मामले में दखल देने का कोई कारण नजर नहीं आता। पिछले साल अगस्त में, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में शहनवाज के खिलाफ सुनवाई पूरी होने तक केस दर्ज पर रोक लगा दी थी। अब 16 जनवरी 2023 को सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केस दर्ज करने की इजाजत दे दी है।
शाहनवाज हुसैन ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में तर्क दिया कि हाईकोर्ट इस बात की सराहना करने में विफल रहा कि उसे मामले में अवैध रूप से फंसाया गया था, क्योंकि महिला, जिसका उसके भाई के साथ वैवाहिक विवाद चल रहा था, का गुप्त मकसद था। याचिका में कहा- याचिकाकर्ता को जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त है और शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह से निराधार और असत्य पाए गए क्योंकि वह अपने बयान और याचिकाकर्ता के स्थान को बदलती रही और सीडीआर और सीसीटीवी फुटेज के अनुसार कभी भी मिलान नहीं हुआ।
गौरतलब है कि जून 2018 में, दिल्ली की एक महिला ने हुसैन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (बलात्कार), 120-बी (आपराधिक साजिश) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत अपराध करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई। महिला का आरोप है कि भाजपा नेता ने उसके साथ रेप किया और जान से मारने की धमकी भी दी।