बीरेंद्र कुमार
केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे पर हमले के विरोध में आक्रोश मार्च में शामिल बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य परशुराम चतुर्वेदी का निधन हो गया। सोमवार को भगत सिंह चौक पर अचानक हार्ट अटैक आने से उनकी तबीयत बिगड़ी और थोड़ी ही देर में अस्पताल में इनका निधन हो गया। तबीयत बिगड़ने पर कार्यकर्ता उनको लेकर पुराना सदर अस्पताल परिसर स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, लेकिन वहां समुचित इलाज नहीं मिला। वहां से सदर अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया।
पिछले दिनों चौसा में किसानों के साथ हुई ज्यादती के विरोध में आंबेडकर चौक पर मौन व्रत पर बैठे केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे पर भीम आर्मी द्वारा हमला किए जाने के विरोध में उनकी तत्काल गिरफ्तारी के लिए सोमवार को भाजपा ने किला मैदान स्थित रामलीला मंच से भगत सिंह चौक तक आक्रोश मार्च निकाला।
भाजपा के जिला उपाध्यक्ष पुनीत सिंह एवं नीतिन मुकेश ने बताया कि आक्रोश मार्च में शामिल सभी लोग किला मैदान से मुनीम चौक तक गए। वहां भगत सिंह पार्क में प्रवेश करने के बाद अचानक परशुराम चतुर्वेदी को हार्ट अटैक आया और वह वहीं गिर पड़े। कार्यकर्ता आनन-फानन में उनको लेकर शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। पुनीत सिंह ने बताया कि वहां अस्पताल में उन्हें आक्सीजन उपलब्ध नहीं हो सकी। ऐसे में वहां से उनको एंबुलेंस में लेकर लोग सदर अस्पताल पहुंचे, लेकिन तब तक वह इस दुनिया से विदा ले चुके थे।
परशुराम चतुर्वेदी विगत विधानसभा चुनाव में बक्सर सीट से भाजपा के प्रत्याशी थे। उनके निधन पर कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई है।
गौरतलब है कि बक्सर में किसानों ने पावर प्लांट और रेलवे कॉरिडोर के लिए अपने जमीन अधिग्रहण के मुआवजे के लिए आंदोलन कर रहे थे। इसी बीच 5 दिन पूर्व पुलिस ने रात में कई किसानों के घर में घुसकर उनके साथ ही उनके बाल,बच्चे और महिलाओं की पिटाई कर दी थी। इसकी प्रतिक्रिया में किसानों ने भी अगले दिन पवार प्लांट में जाकर हंगामा और आगजनी कर दिया था।
केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे ने इस घटना के बाद किसानों के पक्ष में बक्सर के अंबेडकर चौक पर धरना दिया। इसपर भीम आर्मी ने यह आरोप लगाते हुए धरना पर बैठे केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे की टीम पर हमला कर दिया था कि पावर प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण के बाद केंद्रीय मंत्री किसानों से नहीं मिले और अब ये राजनीति करने के लिए किसानों के बीच आए हैं। इतना ही नहीं बाद में भीम आर्मी के साथ आर जेडीयू और आरजेडी के कार्यकर्ताओं ने अंबेडकर की प्रतिमा को या कहते हुए धोया की अश्वनी चौबे के यहां धरना देने से मूर्ति अपवित्र हो गई थी।