विकास कुमार
बिहार में जातीय गणना के आर्थिक आंकड़े सामने आ गए हैं। डेटा से हर जाति में गरीबों की संख्या का पता चलता है। सबसे ज्यादा गरीबी अनुसूचित जाति में हैं। आइए जातिवार गरीबों के आंकड़ों पर डालते हैं एक नजर….
- सामान्य वर्ग में है 25.09 फीसदी गरीब परिवार
- पिछड़ा वर्ग में है 33.16 फीसदी गरीब परिवार
- अत्यंत पिछड़ा वर्ग में है 33.58 फीसदी गरीब परिवार
- अनुसूचित जाति में है 42.93 फीसदी गरीब परिवार
- अनुसूचित जनजाति में है 42 .70 फीसदी गरीब परिवार
- अन्य प्रतिवेदित जातियों में है 23.72 फीसदी गरीब परिवार
सामान्य वर्ग में सबसे अधिक गरीब भूमिहार जाति में हैं। वहीं सामान्य वर्ग में सबसे कम गरीब कायस्थ जाति में है।
- भूमिहार जाति में 25 .32 फीसदी है गरीब परिवार
- ब्रह्मण जाति में 25 .3 फीसदी है गरीब परिवार
- राजपूत जाति में 24.89 फीसदी है गरीब परिवार
- कायस्थ जाति में 13.83 फीसदी है गरीब परिवार
- शेख समाज में 25.84 फीसदी है गरीब परिवार
- पठान समुदाय में 22 .20 फीसदी है गरीब परिवार
- सैयद में 17.61 फीसदी है गरीब परिवार
- कुल मिला करा सामान्य वर्ग में 25.9 फीसदी परिवार है गरीब
- वहीं पिछड़ी जातियों में भी गरीबी का अनुपात ज्यादा है।
- यादव जाति में 35 .87 फीसदी परिवार है गरीब
- कुशवाहा जाति में 34 .32 फीसदी परिवार है गरीब
- कुर्मी जाति में 29 .90 फीसदी परिवार है गरीब
- बनिया जाति में 24 .62 फीसदी परिवार है गरीब
- सूर्यापुरी मुस्लिम जाति में 29.33 फीसदी परिवार है गरीब
- सोनार जाति में 26 .58 फीसदी परिवार हैं गरीब
- गोस्वामी जाति में 30 .68 फ़ीसदी परिवार है गरीब
- घटवार जाति में 44.17 फीसदी परिवार है गरीब
- भट्ट जाति में 23.68 फीसदी परिवार है गरीब
- मुस्लिम मलिक में 17.26 फीसदी परिवार है गरीब
वहीं बिहार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आर्थिक स्थिति का ब्यौरा दिया गया है
- तेली जाति में 29.87 फ़ीसदी परिवार है गरीब
- मल्लाह जाति में 34. 56 फीसदी परिवार है गरीब
- कानू जाति में 32 .99 फीसदी परिवार है गरीब
- धानुक जाति में 34.75 फीसदी परिवार है गरीब
- नोनिया जाति में 35.88 फीसदी परिवार है गरीब
- चंद्रवंशी जाति में 34.08 फीसदी परिवार है गरीब
- नाई जाति में 38.37 फीसदी परिवार है गरीब
- बढ़ई जाति में 27.71 फीसदी परिवार है गरीब
- प्रजापति जाति में 33.39 फीसदी परिवार है गरीब
अगर पूरे आंकड़ा को मिला दिया जाए तो बिहार की आबादी का कुल 34.13 फीसदी परिवार गरीबी से जूझ रहा है। नीतीश सरकार ने वादा किया था कि इस आंकड़े के मुताबिक गरीब परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। इसलिए अब वादा पूरा करने का वक्त आ गया है। बिहार में हर जाति के गरीबों की जिंदगी में रौशनी पहुंचाने का काम अब सरकार को गंभीरता से करना चाहिए।