अखिलेश अखिल
मौजूदा समय में इस बात की कल्पना भी नहीं की जा रही थी कि घोसी उपचुनाव में बीजेपी की हार हो जाएगी। हर भी बड़े अंतर से। ऐसी हार की बीजेपी ने भी कल्पना नहीं की थी और ऐसी जीत की कल्पना सपा को भी नहीं थी। जिस तरह के परिणाम सामने आये हैं उससे साफ़ हो गया है कि यहाँ सीएम योगी और पीएम मोदी का कोई प्रभाव नहीं चला। जातीय समीकरण सब पर भारी पड़ा और इस परिणाम ने कई संकेत भी दे दिए हैं।
यह कोई मामूली खबर नहीं है कि उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह चौहान समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधारकर सिंह से हार गए हैं। जारी हुए नतीजे के अनुसार सुधाकर सिंह ने दारा सिंह चौहान को 42,759 वोटों से हरा दिया है।
सुधाकर सिंह को 1,24,427 वोट मिले, जबकि दारा सिंह चौहान के खाते में 81,668 वोट आए। आखिर किस जातीय फॉर्मूले के तहत बीजेपी इस सीट पर हारी और क्या घोषी चुनाव के नतीजे एनडीए के लिए बड़ा संकेत हैं।
यूपी के मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट पर अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का दबदबा माना जाता है। इस सीट के अंतर्गत करीब 60,000 राजभर मतदाता, 40,000 यादव, 50,000 चौहान वोटर (जिन्हें नोनिया भी कहा जाता है) और करीब 60,000 दलित मतदाता आते हैं। वहीं, सीट पर करीब 90 हजार मुस्लिम वोटर भी हैं।
सपा के सुधाकर सिंह घोसी उपचुनाव में बतौर ‘इंडिया’ गठबंधन के उम्मीदवार मैदान में थे। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस उपचुनाव को एनडीए बनाम इंडिया गठंधन के लिटमस टेस्ट के रूप में भी देखा जा रहा था। इंडिया गठबंधन के घटक दलों कांग्रेस, वाम दलों और आम आदमी पार्टी ने इस सीट से अपने उम्मीदवार नहीं उतारे और सुधाकर सिंह को समर्थन दिया। इन दलों ने विपक्षी एकता के तहत उनके लिए प्रचार भी किया था।
इस प्रकार सुधारकर सिंह के रूप में विपक्षी घटक दलों वाले इंडिया गठबंधन की इस सीट पर जीत हुई है, जो एनडीए के लिए एक बड़ा संकेत है। इंडिया गठबंधन को मिली इस सफलता से कयास लगाए जाने लगे हैं क्या कई विपक्षी पार्टियों का यह गुट 2024 में एनडीए को वाकई चुनौती देगा।
सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह सामान्य वर्ग से आते हैं, जबकि बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह चौहान ओबीसी समुदाय से आते हैं। सपा का बेस वोट यादव और मुसलमान माने जाते हैं, जबकि इस सीट पर बीजेपी का बेस वोट चौहान, राजभर और निषाद हैं। चूंकि उपचुनाव में कुल 10 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई, जिनमें दारा सिंह चौहान को छोड़कर तीन और चौहान प्रत्याशियों ने उपचुनाव लड़ा। दो मुस्लिम उम्मीदवार भी मैदान में उतरे. वहीं, चुनाव से पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने लोगों से अपील की थी कि वे मतदान से दूर रहें, वोट देना ही है तो ‘नोटा’ वाला बटन दबाएं।
चुनाव में नोटा का बटन भी काफी दबाया गया है. पांचवें नंबर पर नोटा रहा। नतीजों से अंदाजा लगता है कि जातीय समीकरण के हिसाब से बीजेपी को वोट नहीं मिला। वहीं, दर्जनभर के करीब उम्मीदवारों के उतरने से वोट उनमें बंटा भी है।


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