न्यूज़ डेस्क
मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह को झटका पर झटका लगते जा रहा है। एक के बाद एक नेता लगातरा पार्टी से निकलते जा रहे हैं। हालांकि इससे पार्टी के सेहत पर क्या कुछ असर होगा यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन अभी जिस अंदाज में नर्मदापुरम के पूर्व विधायक गिरजा शंकर सिंह ने पार्टी को छोड़ते हुए शिवराज सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं उससे पूरी बीजेपी सरकार ही सकते में आ गई है।
बीजेपी के दो बार विधायक रहे गिरजा शंकर शर्मा ने उपेक्षा और पार्टी की स्थितियों से नाराज होकर त्यागपत्र देने की बात कही है। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी की राज्य सरकार और संगठन पर भी कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि अभी वह किसी भी दल में शामिल होने नहीं जा रहे हैं। लेकिन उनकी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से मुलाकात हो चुकी है। उन्होंने कहा कि हमने ऐसी पार्टी में अपना समय बर्बाद किया जिसके बारे में कभी सोचा भी नहीं था। यह सरकार ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार में लिप्त है। जनता के लिए यह सरकार कोई काम नहीं कर रही है।
दरअसल जैसे-जैसे प्रदेश में चुनाव करीब आ रहे हैं, वैसे-वैसे हर दिन पार्टी का कोई न कोई बड़ा नेता बीजेपी छोड़ रहा है और लगभग सभी कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। एदो दिन पहले गुरुवार को शिवपुरी जिले के कोलारस विधानसभा क्षेत्र के विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने बीजेपी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने मौजूदा शिवराज सिंह चौहान सरकार पर भ्रष्टाचार सहित कई गंभीर आरोप भी लगाए थे।
खास बात ये है कि वीरेंद्र रघुवंशी बीजेपी में सिंधिया खेमे के विधायक थे। रघुवंशी ने अपने इस्तीफे में पार्टी के साथ सिंधिया पर भी आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि सिंधिया ने किसानों के कर्ज पत्र के मुद्दे पर झूठ बोला। रघुवंशी ने बीजेपी की शिवराज सरकार पर भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया है। रघुवंशी ने आरोप लगाया है कि शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार गौ माता के नाम पर वोट हासिल कर लेती है लेकिन इस बारे में करती कुछ नहीं है। उन्होंने कहा, अधिकांश गौशालाएं चालू नहीं हैं, या उन्हें चार-पांच महीनों में धन नहीं मिला। इस कारण, गायें अभी भी सड़कों पर मर रही हैं।
बीजेपी से अलग होने के बाद वीरेंद्र रघुवंशी कहां जाएंगे, इस पर वे अभी खामोश हैं, लेकिन कयास हैं कि वे कांग्रेस के साथ जाने वाले हैं। रघुवंशी से पहले बीजेपी छोड़ने वाले सिंधिया समर्थक कई नेता कांग्रेस में वापस आ चुके हैं। सिंधिया जब तीन बरस पहले बीजेपी में शामिल हुए थे तो अपने साथ कांग्रेस के कई विधायकों और नेताओं को भी पार्टी में ले गए थे। लेकिन लगातार होती उपेक्षा के बाद अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर इन विधायकों और कार्यकर्ताओं के सब्र का बांध अब टूटने लगा है।